थोड़ा
जरूर सोचे भी कुछ करने से पहले !!
देखने में लगातार आ रहा हे की समाज में लीडर की कमी नहीं हे,समाज ने जिसे भी मान्यता दी या किसी को भी समाज के व्यक्ति को समाज का काम करने की जिम्मेदारी सोपी वो उसे जेसे - तेसे निभा ही रहा हे,पर मेरे व्यक्तिगत तोर पर पिछले 30 वर्ष से लगातार किसी न किसी रूप में जुदा ही रहा हु समाज के कामो में म्हणत में तो कोई भी कमी नहीं दिखाई दी लेकिन अपनी बात ...
रखने का फन किसी भी स्तर पर और निपुण कला में समाज अभी भी पूरी तरह से नहीं सीख पाया हे,इस समाज को प्रशासनिक और (जुडीसरी) क़ानूनी पेचों ...
और भारत के सविधान की और उसकी पूरी व्यवस्था की जानकारी का आभाव हे,यानी कहिये की न के बराबर हे, जो भी जानकारी उपलब्ध हो भी जाती हे वो हे सर्व समाज से जो हमेशा ही आपके विरोधी रहे हे,यही वो सब कारन हे जिससे समस्या और भी गंभी होती जा रही हे ...? लेकिन यह भी जानकारी की जानकारियाँ कम हे वो भी न के बराबर और फिर भी अपने ऊपर समाज की जिम्मेदारियां ले रखी हे,और जिसको भी जानकारीयाँ हे वह ...
तो अपने आप को ही न जाने क्यों एक विशेष व्यक्ति ही मानते आये हे और राजनेतिक दोहन और समाज का शमन ही करते रहे हे ...? और इस सीधे-साधे समाज को को दिग्भ्रमित यानि वास्तविकता की सचाई से कोसो दूर रखने का चक्र अभी भी चल रहा हे ...? और केवल इसी सूचना की कमी के कारण थोपे गये मुखिया और समाज के कर्ता - धर्ता कुछ किसी की भी सुनने को
भी तेयार नहीं होते और चल पड़ते हे समाज की सेवा करने अपने समाज से ही डिप्लोमेसी ( सतरंगी चेहरा ) जो कभी दुसरो के कहने और बहकने के कारण ऐसा हो रहा हे,और कुछ चतुर लोग अगर थोड़ी सी भी जानकारी रखते हे तो आप खुद ही समझ लीजिये की फिर यह यथावत समस्या क्यों बनी और बना रखी हे,क्युकी अगर ऐसा नहीं होता तो यह हालत आज भी वेसी न होती समाज को कहीं पर भी सही जानकारियाँ उपलब्ध न होने के कारण और समाज की खुद की दिलचस्पी भी न के बराबर होने के कारण यह माहोल और भी पेचीदा हो गया हे ...?
अब बात आती हे की हक की वो भी कोटा और सिर्फ जातिगत कोटे और अपनी समस्यायों की बात जिसे हम लगातार सरकार के सामने उठाते रहे हे और सभी वो लोग जो समाज के पार्टी जागरूप हे ,इसमें भी राजनितिक और राजनिती की गन्दी बू आती हे,जो समय पर ऐसे लोग अपनी गन्दी हरकतों से अभी भी बाज नहीं आते लेकिन और पुरे समाज को भ्रमित भी करते रहते हे वो भी कुछ चंद चाँदी के सिक्कों की खातिर और झूटे स्वभिबान में लिपटी हुई इज्ज़त की खातिर उन्हें यह मालूम ही नहीं की उनके इस तरह के कार्यो से समाज को कितनी हानि पहुंची हे ...?
बार-बार एक ही सवाल पूछा जाता हे की हमे इस फला सुविधा से अलग क्यों या वंचित क्यों रखा हुआ हे,बात फिर वोही की जब
हमें खुद ही अपनी बात नहीं रखनी आएगी तो हस्र यही होना निश्चित होता आया हे और अगर ऐसे ही हालात होते रहे तो ऐसा आगे भी होता रहेगा ...?
एक उदाहरण देता हूँ गर में अगर बात ढंग से न राखी हो तो घर में विफल,गाँव में न राखी हो तो गाँव में विफल,जिले में अगर बात न ढंग से रखी हो तो जिले में विफल फिर राज्य और आखिर में राजधानी यानि पुरे राष्ट्रीय लेबल पर भी यही हाल सभी का और ज्यादातर जिम्मेदार लोगो का रहा हे,उसी का परिणाम यह हे की हमें डिवाइड एंड रूल यानि फुट डालो और राज करो की नीति का ऐसे चतुर लोग कामयाब होते आये हे ...?
ऊपर से शिक्षा का आभाव भी किसी हद तक मान भी लेता हूँ लेकिन अगर लेकिन पूरा समाज ही अनपड़ रहा हो यह बात ही हजम नहीं होती और मेरे गले से नीचें नहीं उतरती हे ...? मेरा केवल अब समाज को इतना ही सुझाव हे न की दवाब अगर समाज माने तो किसी भी मूवमेंट यानि आंदोलन या समाज की किसी भी समस्या को उठाने से पहले ही वो साड़ी तेयारी कर
लेनी चाहिए जिससे उनको किसी भी प्रकार की दिक्कत न हो ...अगर समाज किसी भी सामाजिक काम में न भी सामिल करना चाह रहां हो तो भी सलाह लेने में समाज का ही भला हे भले ही वो बाद में अपने नाम का झंडा भी लगा ले और पोस्टर पम्प्लेट्स निकालकर अपना नाम ही कर ले मुझे उसमे भी कोई आपत्ति नहीं हे बशर्ते की समाज का भला होना चाहिए ...?
आखिर में बात आती हे फिर से की सारे युवाओं को केडहर ट्रेनिंग दी जाए जिसके लिए में हमेशा आप सभी को कहता आया हूँ ...
अगर समाज को वास्तविकता में आगे बड़ते देखना चाहते हे तो यह काम जल्दी से जल्दी शुरु हो ही जाना चाहिए ...जिससे समज को सारे ज्ञान का पूरा भण्डार मिल पायेगा और हर वो कार्य कर्ता इतना नुपुं होगा की किसी भी आन्दोलन को चलाने में वो हमेशा वीजे प्राप्त कर लेगा लेकिन कार्य कर्ता की फोज अगर ज्यादा होगी तो किसी भी कानूनी गिरफ्तारी होने पर भी आन्दोलन सफल होगा क्युकी दूसरी पंक्ति के कार्य कर्ता आगे की बागडोर संभाल लेंगे ...अगर मेरा यह कोलम आपको अच्छा लगे तो में आगे भी अपना विचार दे सकूंगा ...? इसलिए अपने कॉमेंट्स भी जरूर दे ...?
नोट: अगर किसी भी शब्द से किसी को बुरा लगे तो में क्षमा प्रार्थी हूँ ...! क्युकी मेरा मकसद केवल समाज को सही दिशा और ज्ञान ही देना हे और कुछ नहीं ..?
लेखक/रचनाकार: रामप्रसाद रैकवार ...
दिनांक: ३० .०८ .२०१३
देखने में लगातार आ रहा हे की समाज में लीडर की कमी नहीं हे,समाज ने जिसे भी मान्यता दी या किसी को भी समाज के व्यक्ति को समाज का काम करने की जिम्मेदारी सोपी वो उसे जेसे - तेसे निभा ही रहा हे,पर मेरे व्यक्तिगत तोर पर पिछले 30 वर्ष से लगातार किसी न किसी रूप में जुदा ही रहा हु समाज के कामो में म्हणत में तो कोई भी कमी नहीं दिखाई दी लेकिन अपनी बात ...
रखने का फन किसी भी स्तर पर और निपुण कला में समाज अभी भी पूरी तरह से नहीं सीख पाया हे,इस समाज को प्रशासनिक और (जुडीसरी) क़ानूनी पेचों ...
और भारत के सविधान की और उसकी पूरी व्यवस्था की जानकारी का आभाव हे,यानी कहिये की न के बराबर हे, जो भी जानकारी उपलब्ध हो भी जाती हे वो हे सर्व समाज से जो हमेशा ही आपके विरोधी रहे हे,यही वो सब कारन हे जिससे समस्या और भी गंभी होती जा रही हे ...? लेकिन यह भी जानकारी की जानकारियाँ कम हे वो भी न के बराबर और फिर भी अपने ऊपर समाज की जिम्मेदारियां ले रखी हे,और जिसको भी जानकारीयाँ हे वह ...
तो अपने आप को ही न जाने क्यों एक विशेष व्यक्ति ही मानते आये हे और राजनेतिक दोहन और समाज का शमन ही करते रहे हे ...? और इस सीधे-साधे समाज को को दिग्भ्रमित यानि वास्तविकता की सचाई से कोसो दूर रखने का चक्र अभी भी चल रहा हे ...? और केवल इसी सूचना की कमी के कारण थोपे गये मुखिया और समाज के कर्ता - धर्ता कुछ किसी की भी सुनने को
भी तेयार नहीं होते और चल पड़ते हे समाज की सेवा करने अपने समाज से ही डिप्लोमेसी ( सतरंगी चेहरा ) जो कभी दुसरो के कहने और बहकने के कारण ऐसा हो रहा हे,और कुछ चतुर लोग अगर थोड़ी सी भी जानकारी रखते हे तो आप खुद ही समझ लीजिये की फिर यह यथावत समस्या क्यों बनी और बना रखी हे,क्युकी अगर ऐसा नहीं होता तो यह हालत आज भी वेसी न होती समाज को कहीं पर भी सही जानकारियाँ उपलब्ध न होने के कारण और समाज की खुद की दिलचस्पी भी न के बराबर होने के कारण यह माहोल और भी पेचीदा हो गया हे ...?
अब बात आती हे की हक की वो भी कोटा और सिर्फ जातिगत कोटे और अपनी समस्यायों की बात जिसे हम लगातार सरकार के सामने उठाते रहे हे और सभी वो लोग जो समाज के पार्टी जागरूप हे ,इसमें भी राजनितिक और राजनिती की गन्दी बू आती हे,जो समय पर ऐसे लोग अपनी गन्दी हरकतों से अभी भी बाज नहीं आते लेकिन और पुरे समाज को भ्रमित भी करते रहते हे वो भी कुछ चंद चाँदी के सिक्कों की खातिर और झूटे स्वभिबान में लिपटी हुई इज्ज़त की खातिर उन्हें यह मालूम ही नहीं की उनके इस तरह के कार्यो से समाज को कितनी हानि पहुंची हे ...?
बार-बार एक ही सवाल पूछा जाता हे की हमे इस फला सुविधा से अलग क्यों या वंचित क्यों रखा हुआ हे,बात फिर वोही की जब
हमें खुद ही अपनी बात नहीं रखनी आएगी तो हस्र यही होना निश्चित होता आया हे और अगर ऐसे ही हालात होते रहे तो ऐसा आगे भी होता रहेगा ...?
एक उदाहरण देता हूँ गर में अगर बात ढंग से न राखी हो तो घर में विफल,गाँव में न राखी हो तो गाँव में विफल,जिले में अगर बात न ढंग से रखी हो तो जिले में विफल फिर राज्य और आखिर में राजधानी यानि पुरे राष्ट्रीय लेबल पर भी यही हाल सभी का और ज्यादातर जिम्मेदार लोगो का रहा हे,उसी का परिणाम यह हे की हमें डिवाइड एंड रूल यानि फुट डालो और राज करो की नीति का ऐसे चतुर लोग कामयाब होते आये हे ...?
ऊपर से शिक्षा का आभाव भी किसी हद तक मान भी लेता हूँ लेकिन अगर लेकिन पूरा समाज ही अनपड़ रहा हो यह बात ही हजम नहीं होती और मेरे गले से नीचें नहीं उतरती हे ...? मेरा केवल अब समाज को इतना ही सुझाव हे न की दवाब अगर समाज माने तो किसी भी मूवमेंट यानि आंदोलन या समाज की किसी भी समस्या को उठाने से पहले ही वो साड़ी तेयारी कर
लेनी चाहिए जिससे उनको किसी भी प्रकार की दिक्कत न हो ...अगर समाज किसी भी सामाजिक काम में न भी सामिल करना चाह रहां हो तो भी सलाह लेने में समाज का ही भला हे भले ही वो बाद में अपने नाम का झंडा भी लगा ले और पोस्टर पम्प्लेट्स निकालकर अपना नाम ही कर ले मुझे उसमे भी कोई आपत्ति नहीं हे बशर्ते की समाज का भला होना चाहिए ...?
आखिर में बात आती हे फिर से की सारे युवाओं को केडहर ट्रेनिंग दी जाए जिसके लिए में हमेशा आप सभी को कहता आया हूँ ...
अगर समाज को वास्तविकता में आगे बड़ते देखना चाहते हे तो यह काम जल्दी से जल्दी शुरु हो ही जाना चाहिए ...जिससे समज को सारे ज्ञान का पूरा भण्डार मिल पायेगा और हर वो कार्य कर्ता इतना नुपुं होगा की किसी भी आन्दोलन को चलाने में वो हमेशा वीजे प्राप्त कर लेगा लेकिन कार्य कर्ता की फोज अगर ज्यादा होगी तो किसी भी कानूनी गिरफ्तारी होने पर भी आन्दोलन सफल होगा क्युकी दूसरी पंक्ति के कार्य कर्ता आगे की बागडोर संभाल लेंगे ...अगर मेरा यह कोलम आपको अच्छा लगे तो में आगे भी अपना विचार दे सकूंगा ...? इसलिए अपने कॉमेंट्स भी जरूर दे ...?
नोट: अगर किसी भी शब्द से किसी को बुरा लगे तो में क्षमा प्रार्थी हूँ ...! क्युकी मेरा मकसद केवल समाज को सही दिशा और ज्ञान ही देना हे और कुछ नहीं ..?
लेखक/रचनाकार: रामप्रसाद रैकवार ...
दिनांक: ३० .०८ .२०१३
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