ग्लोबल विलेज की की अवधारण पूरा विश्व
एक गाँव बन गया है और सूचना की क्रांती की बात हो रही है। जिस गाँव की अवधारण
हमारे मन मस्तिक में है । और जिस गाँव को नजदीकी से देखा है या देख रहा हूँ । हमें नहीं
लगता है की उस गाँव में समनता की अवधारणा है। वहा पर तो आज भी दलित को एक बरावर
बैठने तक का अधिकार नहीं है जो हिन्दू धर्म के वर्ण वेवस्था के माध्यम से संचालीत
होता है । वर्ण में आज भी दलित और निषाद समाज के लगभग परिवार भूमहीन है। सवर्ण जमीदांर
खेती इन्हीं से करवाते है उसके पास रहने के लिए जमीन नहीं है। वह किसी तरह से अपना
जीवन को निर्वाह कर रहे है ,जो
आएँ दिन एक
परिवार पूरा भोजन को वेवस्था करने में उसकी जिंदगी गुजर जा रहीं है ग्लोबल विलेज
की अवधारण कहा तक है नजर आ रहीं है ।
सूचना क्रांती की बात करना उतना तक ही
सीमित लग रहा है जितना गाँव में जिम्मेदारों, सवर्ण, ब्रामहन,परिवार तक हीं सीमित है , हर संसाधन उसी के पास है और ये निषाद
समाज दलित परिवार उसके साधन के रूप में उभर कर आते है । और साधन बन गए है । सूचना
उसी के पास जिसके पास संसाधन है।
वही गाँधी की ग्राम –स्वराज की संकल्पना
को लेकर बहुत महिमामंडीट किया जा रहा है। सबसे पहले देखना होगा की आखिर गाँव किसका
है। उन सावर्णों का जो पूरे भारत में मात्र 15% प्रतिशत है स्वंय कुछ न करते हुएँ
सारे संसाधन पर कविज है। गाँव को नजदीक से देखने पर सावर्णों का क्रूर नजर आता है।
गाँव के कुछ झलकिया इस प्रकार है गाँव में मैंने देखा की जब सवर्ण परिवार के घरों
में शादी विवाह होता है तो काम के लिए बुलाना,सवर्ण परिवार को जो भी काम हो हासिए के
लोग काम करते है। यहीं काम से लगभग परिवार के आर्थिक और सामाजिक उसी पर केन्द्रित
है। उसकी विवशता कहे या मजबूरी कहे शोषित तो लगभग दलित परिवार कम होता है क्योकि
सवर्ण परिवार उसे छुआ-छुत मानता है।
पानी तक
नहीं पीते है। शोषित तो निषाद समाज के तमाम उप जतियों को हो रहा है
जो सवर्ण परिवार पूरा का पूरा काम निषाद जतियों से कराने का काम करते है। वह दलितों
से थोड़ा कम छुआ छूत मानते है । पूरा का पूरा काम उसी से कराते है ।जिसका कारण ये
समाज आज भी यह समाज समझ नहीं पा रहा है की आखिर किस गाँव में जी रहे है। किस
ग्राम-स्वराज में जी रहे है। किस गलोबल गाँव में जी रहे है, अब देखना है की ग्लोवल विलेज में और
ग्राम स्वराज में स्वराज किसके पास है, सूचना किसके पास है, क्रांती किसके लिए हुआ है। इस गाँव में हांसिये
के समाज का सूचना में क्या स्थान है। –जय समाज -जय निषाद
हांसिये या हाशिये
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