Wednesday, January 23, 2013

निषाद समाज के तमाम उप जतियों का आंदोलन


निषाद समाज के तममा उप जतियों को मनु के तर्ज पर जिन्होंने भारत के निषाद समाज के तमाम उप जतियों को अछूत करार कर बहिष्कृत कर उनके अधिकार छीन लिया भारत में इन बहादुर जातियों में से भारत की अँग्रेजी सरकार ने भी इसे जन्मजात अपराधी घोषित कर दिया था । इस समाज भारत का आंदोलन का एक नजर
1784-85
कोली-बगावत (महाराष्ट्र)
1781-85
तिलका मांझी के नेत्रत्व में विद्रोह 
1797
में दुकखन मांझी के नेत्रत्व में मुड़ा विद्रोह 
1809-28
गुजरात में भील विद्रोह 
1818
कोली विद्रोह (महाराष्ट्र)
1829
तीरथा सिंह (असम)द्रारा ब्रिटिश जनरलों और महान कॉल विद्रोह अनेक भारतीय सिपाहियों का कत्लेआम 
1831-32
मेँ सिहभूमि बिंदराय और सिंहराय के नेत्रत्व में कॉल विद्रोह हुआ 
1846
गुजरात में भील विद्रोह 
1857
में खज्या नाईक के नेत्रत्व में विद्रोह 
1857 58
भोगोजीनायक और काजर सिंह के नेत्रत्व मेँ भील विद्रोह (गुजरात)
जलियांवाला कांड में गोविंद गुरु के नेत्रत्व में लगभग राक्षसी नर्संहार में 1500 भील मारे गए थे 
भारत में प्रथम स्वतन्त्रता सेनानी बाबा तिलका मांझी और महान वीर योद्धा नायक होने के बाद भी आज निषाद समाज के तममा उप जातीय गरीवी और अक्षिक्षित होने के कारण इस समाज के तमाम जतियों को भूमिहीन और अधिकार से बंचीत कर दिया गया है और आज इस समाज के लगभग जातीय हैशिए पर खड़ी जेसे अभीजात वर्ग के लोग इसे शोषण का शिकार बनाने का काम कर रही है और यह शोषित हो रहा है

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