Wednesday, January 23, 2013

निषाद समाज उप जतियों में बंटे होने से मोह स्थापित न होना


निषाद समाज उप जतियों में बंटे होने से मोह स्थापित न होना
दोस्तों आज हमारे समाज में निर्धारता निरक्षता,आज्ञन,कुपोषण,विमारी अनेक समस्याओं से गुजर रहे है । यह एक चुनौती है जो पूरे निषाद समाज के उप जतियों को मर्म को छूती है, जो यह आज इस समाज के पास अपना विचार नहीं है उनके विचार किसी दूसरे के होते है । इनकी ज्यादा तौर से इनकी जिंदगी दूसरे के नकल के सहारे होती है।  
निषाद समाज दूसरे के बातों को स्वीकार करते है,जैसे सबसे ज्यादा दूसरे(सवर्ण) के बताये बाते को मानने को तैयार रहते है, या मान लेते है । जैसे ब्रामहन का लिखित साहित्य को ज्यादा से ज्यादा पढ़ते है। उसी पढ़ने को कोशिश करते है। उस पर प्रश्न उठाने का कोशिश नहीं करते है। या संदेह नहीं करते है।अपने समाज के लोगों बताये बातों को नहीं मानते है, आप समझ नहीं पाते है, की कारण क्या है । अपने समाज के लोगों का विश्वास दूसरे (सावर्णों )पर बना है न की अपने समाज के लोगों पर विश्वास(fetha) पर बना है। अब आप को समझने की जरूरत है, की अपने समाज के लोगों को अपनी बातों पर विश्वास के लिए संस्कृति को समझने की जरुरत है जो हमारे समाज अंदर विश्वास और आस्था की आधार पर बाना है। पूर्ण रूप से सवर्णों की संस्कृति पर केद्र्त है, जब तक ये नहीं समझ सकेगे तब तक हमारा समाज दूसरे के सहारे चलता रहेगा। और हम सब असहाय महसूस करते रहेगे, यह सब को समझने की जरूरत है। हमारा समाज अशिक्षित होने के कारण दूसरे के संस्कृति पर पूर्ण रूप से आश्रित है ।
अपने समाज के लोगो को समझने की जरूरत है की संस्कृति को मान रहे है। उस संस्कृति की आस्था समझने की जरूरत है। उसी आधार पर हम सब अपने पथ को आगे बढ़ाने की जरूरत है। नहीं तो कोई आरक्षण के नाम पर, कोई आस्था के नाम पर, जिसको इस समाज को जिस तरह से नोच नोच कर खाने का मन किया खाने का काम किया गया है।
सामाजिक परिवर्तन को आगे दिशा को तय करने की जरूरत है की मनोविजन के आधार कहता है जब मानव को जिस वस्तु,या चाहत होती है। मानव अपनी जरूरत को पूरा करने के लिए काम करता है,और लक्ष्य को निधार्णान करने का काम करता है। और आगे बढ़ता है। अशिक्षित समाज के सामने एक ही लक्ष्य होता है कि साम को भोजन कैसे वेवस्था किया जाय अब इस लक्ष्य को समझने में आप कि जरूरत है कि क्या हमारे समाज के सामने लक्ष्य में भोजन के वेवस्था करने के लिए दिन-रात मेहनत करता है वह सामाजिक जीवन को समझ नहीं पाता है और सुबह होती ही भोजन कि तलास में भोजन के लिए मजदूरी करने के लिए निकलना पड़ता है। अब इस परिवार को यह समझ में आ जाय कि हम मजदूर हो तो क्या हमारे समाज के सामाजिक विकास में महत्व पूर्ण योगदान है।  जिस दिन यह परिवार समझने लगेगा उस दिन इसके सामने कोई नहीं होगा और आने वाले दिनो में देश को एक नई दिशा तय होगी- जय समाज जय निषाद

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