संसार में प्रत्येक देश की प्राचीनता का
अपना अपना महत्तव है । भारत के प्रगौतिहासिक यूग के प्रारम्भ में निषाद आदि की
सभ्यताएं थी वह तो मानो इस भूमि पर मानव की प्रारम्भीक हलचल थी यह भारत की सभ्यता
विदेशो तक फैली हुई थी जिसमें सुमेरिया,मिस्र और यूनान तक फैली थी जिसमें समाज
में स्त्रियॉं का आदर था स्त्री को मात्र देवी के रूप में माना जाता था प्रदा
प्रथा नहीं थी धार्मिक और सामाजिक उत्सवों में नर नारी समान रूप से भाग लेते थे
सिंधु वासियों का समाज मात्र-प्रधान था उसकी भाषा लिपि भी थी जिसे चित्रतामक का
जाता है लगभग 396 चिन्ह में मुहरों,वर्तनों आदि पर अकित होता था
बैदिक संस्कृति से संबंध-
बैदिक संस्कृति में महत्व पूर्ण प्रश्न
है की सिंधु के संस्कृति तथा वैदिक संस्कृति का परस्पर क्या संबंध है या दोनों का
पूर्वज कैन है भारत के आदिम निवासियों को को बैदिक संस्कृति में इसे अनार्य के रूप
में देखा और कहा गया है दास,दस्यु,और असुरा, आदि नामों से उल्लेख्न किया गाया है । सिंधु
सभ्यता के प्रवर्तक अनार्य शांती प्रिय थे और युद्ध प्रिय आर्यों ने उन्हें पराजित
कर उनकी सभ्याता को नष्ट-भ्रष्ट कर दिया इस प्रकार से सिंधु घाटी सभ्यता के बाद
आर्यों का या अर्थात बैदिक सभ्यता का भारत पर उदय हुआ
इस प्रकार से निषाद समाज को इस तरह से
तोड़ा की की वह फिर से कभी संभल नहीं पाया बैदिक संस्कृति के अंग बन गए इस
समाज को वर्ण और जातीय वेवस्था का अंग बनाया जाति वेवस्था में लोगों को व्यावसायिक
पेशे से जोड़ा वहीं काल्पीत -वंश परंपरा के आधार पर विभीन्न समूहों में वर्गीकरण
किया जिसमें निषाद समाज के विभीन्न जतियों । बिन्द, मल्लाह,साहनी, तुरहा, रैकवार ,माझी केवट,कश्यप देश भर में लगभग 139 जतियों में बाँटा जिसे उसे हर किसी के
वंश से जोड़ दिया और ये अपने कार्यों में सफल हो गया
देश के आजाद हो जाने के बाद भी यह समाज
को इस तरह से नोचा गया की उसके पास न तो जमीने है न शिक्षा और यह तमाम
मुशकील से गुजर रहा है और इस समाज से आज जो भी थोड़ा बहुत जानकारी रख रहा है वह एक पार्टी का गठन कर
दे रहा है। इस समाज उत्तर प्रदेश में आज लगभग 20 पार्टी हो गई है । जिसमें मानव
प्रगतीशील समाज पार्टी, जय हिन्द समाज पार्टी, युवा निषाद मंच,एकलभ्य समाज पार्टी,वंचित समाज पार्टी ,आदि अव आप सब बताएं की ये लोगों को समझ
में नहीं आ रहा है की आखिर कार लड़ाई किसे लड़ना है और किसे लड़ाई नहीं लड़ना है। इसके या इनके पास वैचरकी की कमी कहे या अपनी
अपनी डफाली पीटने वाला कहूँ।
हर पार्टी का विचार और मंच क्या है
हमारे समाज को किस प्रकार से विकास करना चाहते है किस प्रकार के संस्कृति को बनाना
चाहते है। यह एक शोचनीय विषय है ,मंच
तो हमारे पास है लेकिन इतने अलग-अलग विचार के बना है, की हम किस प्रकार के अपने समाज को मंच
देना चाहते है,
या राजनीति हस्तक्षेप करना चाहते है।
Very good
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