Saturday, June 29, 2013

ये क्या हो रहा है--------------निषाद समाज


मछुआरा जब जाल को लेकर घर से निकलता है तो जैसे ही नदी, तालाब, के किनारे से अपनी नाव मछली को पहचान करने की लिए अपनी नाव को एक जगह से दूसरे जगह पर घूमने का काम करता है। मछली को पहचान कर लेता है की कैन से मछली कहाँ है। उसी के अनुरूप अपनी जाल डालने का काम करता है और मछली मार लेता है। जब यह मछुआरा पानी के अंदर मछली को पहचान कर लेता है या जान लेता है। समाजीक रूप जीवन में दिखने वाले समाज को पहचान नहीं कर पा रहा है। यह मछुआरों के लिए बड़ी दुर्भाग्य है।और सोचनीय विषय है। की सामाजिक आर्थिक और राजनीतिक पहचान से कितना दूर है और यह कब तक रहेगा........
मछुआरों आज नदी और तालाब के जल कुंभी के समान हो गया है। जब हवा बहती है तो जल कुंभी (बसराज) हवा के आधार पर नदी नाले, तालाब, में इधर उधर होता रहता है । उसी तरह आज हमारे पास जीतने संस्थान (सिस्टम ) है बस इधर-उधर वाले ही है चाहे वह हमारे नेता लोग हो या अखिल भारतीय महा संघ हो यह सबमछुआरों के बेचने के लिए जलखुंभी की तरह इधर- उधर होते रहते है
किसी संस्कृति को नष्ट करना हो तो जाति बना दो अपने आप मीट जाएगी ...यहीं निषाद संस्कृति के साथ हुआ जो निषाद संस्कृति में आज बहुत से उप जाति है , सब एक दूसरे से बड़े है यही कारण हुआ की निषाद संस्कृति को लोग भूल गए अपने अपने डफली पीटना शुरू कर दिये लेकिन आज जरूरत है निषाद संस्कृति को फिर से एक करने की जो मछुआ समुदाय का ही उत्तर प्रदेश में मुख्य मंत्री होगा और निषाद संस्कृति को निर्माण करेगा ................................अगला सीएम मछुआ समुदाय का होगा ..
कोई रास्ता भटकता है, तो कोई न कोई बतलाने का काम करता है, आखिरकार मछुआ समुदाय कौन से रास्ता भटक गया है, जो उसे कोई बतलाने वाला ही नहीं है ..
1-मछुआ समाज अब हम सब को जाति और गोत्र को छोड़ कर अपनी संस्कृति को तलास करे ।
2-
आरक्षण के साथ सत्ता को पाने की कोशिश किया जाय । 
3-
सामाजिक गतशीलता में पुशतौनी धंधा छोड़ कर नयें व्यसाय का चयन किया जा
राजनीतिक पक्ष में मछुआरा समाज अपने को मजबूत करने के लिए मुख्य मंत्री (cm) के उम्मीदद्वार घोषित करे यही से हमारा मजबूत पक्ष होगा नहीं तो दूसरे के सहारे दाल रोटी तो चल ही रहीं है। 
1-
आप की मजबूती समाज की मजबूती 
1-
आप से नियम समाज का नियम 
2-
पद के घोषणा समाज के घोषणा 
हर पार्टी अपने (मुख्य मंत्री ) से घोषणा कर सकता है तो मछुआ समाज क्यों नहीं कर सकता है 
यह राह अपने बनाने की जरूरत है न की कोई दूसरा हम को अपने थाली में खिलाने का काम करेगा 
मुख्य मंत्री के पद मछुआआरो के शान और नाम 
मछुआरा के पास संस्थान (सिस्टम ) के रूप
1-
मछली मारना 
2-
दूसरे के सहारे खड़ा होना 
3-
हर कोई सुबह शुद्ध होता है मछुआरा शाम को शुद्ध (शराब ) से शुद्ध होता है।
4-
मछुआरो के लिए पास बहुत से संस्थान लेकिन किसी काम के नहीं 
5-
सब हम बड़े तो हम बड़े के रूप में जीना
आप और सब जानते हो तो बताने का काम करे ..............
राजनीतिक पार्टी निषाद समाज को मूर्ख बनाते हूँ सत्तरह जातियों को आरक्षण के नाम पर हर बार वोट बैक लेने के काम करती है । लेकिन आरक्षण नहीं मिलता है इस ताक में निषाद समाज हर बार अपना वोट देने का काम करता है लेकिन होता कुछ नहीं हर बार की भात इस बार भी फेल आरक्षण ये वोट लेने की राजनीति बताओं मित्रों जब आरक्षण के साथ ऐसा किया जा रहा है तो क्या मछुआ समाज को कभी CM मुख्यमंत्री घोषित कर सकता है का ......................................जबाब आप से पास है ........
राजनीतिक पार्टी के निषाद समाज को आरक्षण के नाम पर वोट लेकर मुख्य मंत्री बन जा रहें है । मछुआ समाज को झुंझुना पकड़ा दिया जा रहा है की आज आरक्षण दिया दिया जाएगा तो कल समय के घड़ी में आज 10 साल होने के है लेकिन आगे कोई संभावना नहीं दिख रही है निषाद के सत्तरह जातिया को एक मंच बना कर CM मुख्यमंत्री घोषित कर चुनाव के मैदान में आना चाहिए ........विचार आप के पास है ॥सत्ता आप के नजदीक है
राजनीतिक पार्टी के निषाद समाज को आरक्षण के नाम पर वोट लेकर मुख्य मंत्री बन जा रहें है । मछुआ समाज को झुंझुना पकड़ा दिया जा रहा है की आज आरक्षण दिया दिया जाएगा तो कल समय के घड़ी में आज 10 साल होने के है लेकिन आगे कोई संभावना नहीं दिख रही है निषाद के सत्तरह जातिया को एक मंच बना कर CM मुख्यमंत्री घोषित कर चुनाव के मैदान में आना चाहिए ........विचार आप के पास है ॥सत्ता आप के नजदीक है
मछुआ समाज को राजनीतिक पार्टी आरक्षण के नाम पर अपना वोट के रूप में देख रही है । पार्टीया मछुआ समाज को आरक्षण के नाम पर सजीवनी भूटि तक रखा गया है .......जो पीले देने पर यह समाज कभी भी सत्ता के बात नहीं करेगा केवल आरक्षण में फसा रहेगा ये है राजनीतिक पार्टी का रूप रेखा आज मछुआ समाज को समझने की जरूरत है। की आरक्षण के साथ सत्ता भी चाहिए
मछुआ समाज को राजनीतिक पार्टी आरक्षण के नाम पर अपना वोट के रूप में देख रही है । पार्टीया मछुआ समाज को आरक्षण के नाम पर सजीवनी भूटि तक रखा गया है .......जो पीले देने पर यह समाज कभी भी सत्ता के बात नहीं करेगा केवल आरक्षण में फसा रहेगा ये है राजनीतिक पार्टी का रूप रेखा आज मछुआ समाज को समझने की जरूरत है। की आरक्षण के साथ सत्ता भी चाहिए
छोटे-छोटे नदिया मिल कर बड़ी नदी के रूप ले लेती है ।और विकराल रूप धारण कर लेती है। आज जरूरत है मछुआ समाज के तमाम उपजाति मिल कर निषाद संस्कृति ( महान वीर नायकों से भरा पड़ा है जो मछुआ समाज के संस्कृति है ) के विचारों को बढ़ा कर समाज के दिशा मिल सके ........................आप का राय क्या है
मछुआरों समुदाय के लोगों , आज तक यह समझ नहीं पा राहें है, की हमारी संस्कृति क्या है । किस संस्कृति के साथ आगे बढ़ाना चाहिए 
2-
हमारे समाज के यूटोपिया क्या होना चाहिए ...जिसे मछुआरों के एक दिशा मिल सके 
3--
जाति जाति में विभक्त है , सब बड़े है ,कोई किसी से छोटा नहीं है , 
4-
नेता हर पार्टी में है, लेकिन किसी नेता में दम हो तो मछुआरों समाज के नेता को पीएम ,सीएम , घोषित करा के देखे की उसकी पार्टी मछुआरों के हितैसी है .......
5-
समाज में बहुत से संगठन है , सब अखिल भारतीय है ...सब किसी न किसी नेता के दल्ला,है सब अखिल भारतीय संघ के अध्यक्ष है ......
6-
मछुआरा समाज जो भी समाज के थोड़ी मोड़ी जानकारी रख रहा है , सब भारत स्तर के अध्यक्ष है ,
7-
आज के मछुआरा समाज के युवा संस्कृति ने फर्क नहीं कर पारा है , निषाद संस्कृति है या कश्यप संस्कृति ,यह उसी में उलझा है 
और बाते बहुत है, जो स्वीकार नहीं कर पा रहे है , आखिरकार मछुआरे हि तो है ...
                                     लेखक

                                    बलराम बिन्द 

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