हमारे देश हर प्रदेश में अलग -अलग जनजातियाँ जैसे सांसी ,भेदकुट ,छारा ,भांतु भाट ,नट, गदहिला ,गडरिया ,डोम ,बावरिया , गाड़िया लोहार ।, बंगाली ,बंजारा,महातम ,मल्लाह,मांगगरोड़ी,मदारी वागरी कबुत्रिया ,पारदी, भोइए,महार , खेवट,,ओड अहेरिया,बहेलिया ,नायक,सपेला ,राजभर,सिंगीकत,सिकलीगर कुचाबंद कंजड गिहार ;आदि आदि जो कुछ विमुक्त और घुमंतू जातियां कहलाती है | 13 वीं शताब्दी अल्लाउदीन खिलज़ी के ज़माने से लेकर ओरंगजेब के ज़माने तक हमारी जातियों के लोगों ने मुगलों से डट कर लड़ाई लड़ी । अपनी बेटी और चोटी यानि शान नही तज्जी प्रण नही हारा | बल्कि जंगलों में जाना मुनासिब समझा ! जिस कारण से यह जातियां खानाबदोश घुमन्तु बन गऐ ! लेकिन अपना धर्म नही बदला , काश अगर यह लोग अपना धर्म और अपनी बेटी यानि इमान मुगलों को दे देते तो आज ये लोगों भी देश में बहुत बड़ी बड़ी जागीरों के मालिक और मंत्री होते, और बकोल डा0 बी: ए स्मीथ लिखता है ये लोग सब कुछ बर्दास्त कर सकते है परन्तु विदेशी हकुमत को सहन नही कर सकते थे इनका कसूर यही था की ये लोग देश भगत थे जिनको मुगलों ने विद्रोही और बागी करार दिया हुआ था। आगे चल कर इसी प्रकार अंग्रेजो ने भी इन्हे बागी करार दिया | 16वीं शताब्दी यानि अंग्रेजो का जमाना यह लोग खानाबदोश तो थे ही , लेकिन गोरिला युद्ध {छुप कर वार } करने में भी माहिर थे ! जहाँ पर भी जंगलों में अंग्रेजी सेना मिलती ये लोग रात को रास्ते रोक देते थे , आग लगा देते थे ,अपने तीर कमान और भाले से उनकी गर्दन मुण्डियाँ काटते और उनका रासन ,समान ,घोड़े छीन कर जंगलों में छिप जाते थे ! जिसके हमारे पास बहुत प्रमाण है 1857 के विद्रोह में हमारे कबीलों ने बड -चढ़ कर भाग लिया। दोस्तों देश में आजादी के लिए तीन तरह का संग्राम हुआ :-गरम दल , नरम दल और गोरिला युद्ध। हम लोग गोरिला युद्ध करने के माहिर थे . जिस का अंग्रोजों के पास तो क्या दुनिया में किसे के पासभी तोड़ नही है ! और इस बात से अंग्रेज सरकार सोचने पर मजबूर हो गई |
अगर इन जातिओं को अपने शासन तन्त्र का भुगतभोगी नही बनाया गया तो ये भारत में हमारे पांव जमने नही देंगी । अग्रेंजो ने अपनी सोची साजी निति से इन जातिओं पर अपना दमन चक्र चलाया। और 12 अक्टूबर सन 1871 में जो क्रीमिनल ट्राइब एक्ट बनाया गया था । ओह इसी सोच से बनाया गया की क्यों न उन्हें न केवल अपराधियों की श्रेणी में रख दिया जाये बल्कि समाज मै भी उनके प्रति संशय और अविश्वास का वातावरण पैदा कर दिया जाये । They shoud be stigmatized .वह दोनों ही उन्होंने किया । असल में ये लोग फ्रीडम फाइटर थे । और देश भगत थे |ये भी काले पानी की ( सेल्लुलर जेल) में रखे जाते थे काश ! अगर देश से गदारी करते आज ये लोगों भी देश में बहुत बड़ी बड़ी जागीरों के मालिक होते ! 1871 से लेकर 31 अगस्त सन 1952 तक 82 साल के लम्बे अरसे से जैरैम्पेशा '' काला कानून '' की मार से अंग्रेजो के जुल्म के शिकार हुए |यह कानून 1884-85 Asiatic Act.1857-58 Mutiny Supression Act. और1919 Rowalatt Act.से भी कठोर था । इस कानून के तहत इन जातिओं को एक गाँव से दुसरे गाँव में जाने की इज्जात नही थी । जिलास्तर पर अपराधिक जातिओं के लिए एक दफ्तर होता था जहाँ से इन जातिओं के लोगोंको एक (पास)मिलाता था इसको लेकर जिस गाँव में जाते थे उस गाँव के मुख्या को बताना पड़ता था की में 2 दिन के लिए आपके गाँव मे आया हूँ जाने पर अपने गाँव के मुखिया को भी बताना पड़ता था की मै आ गया हूँ पुलिस थानों में दिन में 2 बार हाजरी लगती थी इन जातिओं के लोगों को स्पेशल जेलों में कठोर यातनाए जेहलनी पड़ी। फांसी पर चड़े, जमीन और संपति कुर्क, देश निकला, जबान बन्द। कलम बन्द ।इन कबीलों के देश में बहुत बड़ी बड़ी रिफारमेंट जैले बने गई जैसे 1. छंगा माँगा ,2. मिन्ट गुमरी 3.लाहोर में मुगलपुरा 4.बागवान पूरा लाहोर 5. रेलवे वर्कशाप लाहोर 6.अमृतसर की पुराणी जेल ,7.मुरादाबाद 8.अहमदाबाद 8.नजीबाबाद आदि आदि |इन लोगों को कोर्ट में जाने की इजाजत नही थी पुलिस कप्तान ने जो फैशला सुनाया वही आखिरी फैशला होता था। ना वकील, ना दलील, ना अपील ।1924 में इस कानून को और सख्त किया गया जिसके तहत 12 साल का बच्चा भी इस कानून की ग्रिफ्त में आ गया । इन के माथे पर एक गर्म सिक्का लगाया जाता था की पहचान हो सके की क्रिमिनल कास्ट से है । इन को पकड कर काले पानी की (साल्लुर जेल ) में रखा जाता था। आज भी वंहा पर हजारो की संख्या में विमुक्त जातिओं के लोग है जो वंही पर ही बस गये | मगर सख्ती की जिस कोठाली में इन लोगों को पिंगलाया गया था उस के वर्णन करने में इंसान की जीभ असमर्थ रह जाती है अग्रेंजो ने इस कानून को 6 बार बदला और सख्त किया 1. 12-10-1871 2. 1876 3.1897 4. 1-3-1911 5. 1923 6. 15-3-1924 । इतना घोर अन्याय अंग्रेजो ने इन जातिओं पर किया ।1947 में देश आजाद हो गया परन्तु ये अभागे लोग आजाद नही हुए । अपने ही आजाद भारत में भी 5 साल 16 दिन गुलाम रहे |1949-50 में अन्था सैमन अयंगार क्रीमिनल ट्राइब एक्ट इन्क्वारी कमेटी ने सरकर को रिपोर्ट दी की देश में ऐसी 193 जातियां है जो आज भी गुलाम है और 31 अगस्त सन 1952 को संसद में बिल पास हुआ। उस दिन इन जातिओं को आजादी मिली । उस दिन इन जातिओं को विमुक्त जाती (Denotifide Tribes ) की संज्ञा दी गई | 82 साल के लम्बे अरसे से गुलाम होने के कारण ये जातियां शैक्षणिक सामाजिक ,आर्थिक, राजनीतिक, और धार्मिक ,रूप से पिछड़ गई |इस देश के सविधान निर्माताओं ने भी इन जातिओं के साथ अन्याय करने में कोई कसर नही छोड़ी सविधान के अंतर्गत जब अनुसूचित जाती ,अनु;जनजाती ,व् पिछड़ा वर्ग बनाया गया उस समय इन लोगों को किसी भी सूचि में नही रखा गया 31 अगस्त 1952 को क्रिमिनल ट्राइब एक्ट तोड़ ने के उपरान्त इन जातिओं को देश का नागरिक मन कर 1952 में ही अनुसूचित जाती में डाल कर खिलवाड़ किया गया उस समय राजनेतिक स्वार्थी लोगों ने इन की अनपढ़ता एवं राजनीतिक अज्ञानता को देखते हुए इनकी जनसंख्या का भरपूर लाभ उठाया और इन्हे अनुसूचित जाती एवं पिछड़ा वर्ग में डाल दिया जब की ताजा घोषणा के अनुसार इन्हे अनसुचित जन जाती कि सुची शामिल करना चाहिए था क्यों की सविधान के अंतर्गत निर्धारित माप दंड इन जतियों पर पूर्णतया लागु होते है | 64 साल बाद भी दुनिया की तरक्की की दोड़ मे आज भी दूसरी जातियो से 64 साल पीछे है | जिनकी आबादी 15 करोड़ से भी अधिक है |और 150 MP बनाने की महारत रखते है लेकिन पुरे देश मे एक भी M.L. A और M. P नही है आज भी लोग अशिक्षत , बेरोजगार ,बेघर , बेपर , बेजार ,बे-इजत और राजनीती से कोशो दूर है |लोग आज भी खुले आसमान ,पुलों के नीचे ,सीवरेज के पाइपो, तरपालो में अपना जीवन व्यतीत करते है।
इस समाज के उथान के लिए सरकार ने 6 कमीशन बनाये | 1.एo सायमन अयंगार कमेटी 1949-50 2. काका कलेरकर कमेटी 1953-54 3. डाo बी डी एन महता आयोग 1963 4.लकुर कमेटी 1965 5. बी पी मंडल आयोग 1978 6.राष्ट्रीय विमुक्त घुमन्तु एवं अर्ध घुमंतू जनजाति आयोग ( रेंके आयोग) 2006 में बनाया था | जिसका नाम '' डी.अन .टी '' आयोग था जिसके चेयरमेन बIलकृष्ण रेंके थे | जिसे रेंके आयोग भी कहा जाता है| रेंके कमीशन की रिपोर्ट जो 2008 में सरकार को भेजी है | परन्तु 4 साल बिताने पर भी कोई करवाई नही हुई | सभी आयोगों ने अपनी रिपोर्टे सरकार को भेज दी लेकिन किसी पर भी करवाई नही हुई ! क्यों नही हुई ?
. | 1. हम संगठित नही है 2.अशिक्षित है 3. सरकार में भागीदारी नही है जब तक ये तीन चीजे हमारे पास नही है आपकी कोई भी बात सुनने वाला नही है | देश में जिन जातिओं का जमीन से लेकर आस्मां तक कब्ज़ा है | और सरपंच से लेकर राष्ट्रपति तक कब्जा ओह लोगों अब आरक्षण की दोड में है और सरकार उनही लोगों की ही सुनती है क्योकि ओह संगठित होते है |लेकिन ये हम लोगों के लिएबहुत बड़ा धक्का है | क्यों की हम इस देश के मूल निवासी अपने ही देश में सदियों से अशिक्षित बेरोजगार ,बेघर , बेपर, बेजार,बे-इजत और राजनीती से कोशो दूर है लेकिन क्यों ? नोट ;- अगर हम भी सगठित हो जाये तो सब कुछ हो सकता है |
रेंके आयोग ने सरकार से 72 मांगो की अनुसंशा की गई है ;- 1. शिक्षा और नोकरी में अलग से 10 % आरक्षण हो |
2. अलग बजट प्रोविजन हो |
3. विमुक्त घुमंतू जातिओं का अलग से मंत्रालय हो |
4.विमुक्त घुमन्तु जातियों का स्थाई आयोग बनाया जाये |
5.विमुक्त जातिओं के बोर्डिंग स्कूल खोले जाए । 6.रहने के लिए जमीन तथा मकान बना कर दिए जाये आदि आदि |
नोट ;- सभी जातियों के युवा वर्ग से अनुरोद है की आप अपने 2 हल्के में संगठित हो कर 2014 से पहले अपने 2 राज्य में रेंके कमीसन की आवाज उठाए ।अपने 2 हल्के के मेम्बर पार्लियामेंट {MP} को रेंके कमीशन की रिपोर्ट लागु करवाने के पार्लियामेंट में आवाज उठवाने लिए बोले ।अब नही जगे । तो फिर कभी नही जागोगे !
'' उठो ! कुछ कर चले अपनों के लिए '' { बालक राम सांसी }
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