क्या
कश्यप "राजपूत" हैं
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धींवर जाति सहित कुछ और उपजातियां जो कश्यप शीर्षक का प्रयोग करती हैं, उनमे से अधिकांश कश्यप शीर्षक के आगे " राजपूत " शब्द लगते हैं। उनके द्वारा राजपूत शब्द लगाना केवल स्ववं की जातिगत आताम्ग्लानी को दूर करना मात्र है। वास्तविकता यह है कि इन जातियों का "राजपूत" होने से दूर -दूर तक कोई एताहासिक सम्बन्ध नहीं है।
कौन थे राजपूत ?
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राजपूत संस्कृत शब्द "राजपुत्र " का बिगड़ा हुआ रूप है। यह शब्द राजकुमार या राजवंश का सूचक था। शने : शने:छत्रिय वर्ग राजपूत नाम से प्रसिद्ध हो गया।
दरअसल प्राचीन समाज के मध्यकालीन समाज में बदलने के पीछे राजाओं द्वारा चलाई गई भूमि अनुदान की प्रथा थी। वेतन और पारिश्रमिक के स्थान पर भूमि अनुदान के नियम बन गए थे। इसमें राजाओं को यह सुविधा थी कि करों की वसूली करने और शांति व्यवस्था बनाये रखने का भार अनुदान प्राप्त करने वालों के ऊपर चला जाता था। परन्तु इससे राजा की शक्ति घटने लगी। उस समय ऐसे ऐसे इलाके बन गए जो राजकीय नियंत्रण से परे थे। इन सबके फलस्वरूप राजा के प्रभुत्व छेत्र को हड़पते हुए इन्ही भू स्वामियों ने खुद को राजपूत कहना शुरू कर दिया।
राजपूतों से सम्बंधित कहानी
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राजपूतों से सम्बन्ध में एक कहानी यह भी है कि जब विश्वामित्र ने वशिष्ठ ऋषि की कामधेनु गाय चुरा ली तो वशिष्ठ ने गाय प्राप्त करने के लिए आबू पर्वत में यघ किया। उनके तप से एक नायक उत्पन्न हुआ। इस नायक ने विश्वामित्र को हराकर कामधेनु वशिष्ठ को सौंप दी। वशिष्ट ने उस नायक को परमार कहा। परमार के वंशज राजपूत कहलाये। इन वंशजो में परमार , चालुक्य, चौहान और प्रतिहार थे।
इन्ही राजपूतों ने जिनमे चंदेल थे , जैन, विष्णु ,शिव ,को समर्पित कई मंदिर बनवाये। जिनमे खुजराहो का कंदरिया महादेव मंदिर अति प्रसिद है। गंग वंश के नरसिम्हा प्रथम ने कोर्णाक का सूर्य मंदिर बनवाया। राजपूतों के इसी काल में नाटक, काव्य एवं ग्रन्थ लिखे गए। जिनमे राजशेखर का बाल रामायण,भारवि का किरातार्जुन, माघ का शिशुपाल वध ,कल्हण का रजतरंगनी और चंदरबरदाई का प्रथ्वीराज रासो प्रमुख है। इतिहास नहीं कहता की धींवर और उसकी उपजातियों का राजपूत होने से कोई निकट का कोई सम्बन्ध भी रहा होगा।
जय कश्यप ! जय निषाद !
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धींवर जाति सहित कुछ और उपजातियां जो कश्यप शीर्षक का प्रयोग करती हैं, उनमे से अधिकांश कश्यप शीर्षक के आगे " राजपूत " शब्द लगते हैं। उनके द्वारा राजपूत शब्द लगाना केवल स्ववं की जातिगत आताम्ग्लानी को दूर करना मात्र है। वास्तविकता यह है कि इन जातियों का "राजपूत" होने से दूर -दूर तक कोई एताहासिक सम्बन्ध नहीं है।
कौन थे राजपूत ?
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राजपूत संस्कृत शब्द "राजपुत्र " का बिगड़ा हुआ रूप है। यह शब्द राजकुमार या राजवंश का सूचक था। शने : शने:छत्रिय वर्ग राजपूत नाम से प्रसिद्ध हो गया।
दरअसल प्राचीन समाज के मध्यकालीन समाज में बदलने के पीछे राजाओं द्वारा चलाई गई भूमि अनुदान की प्रथा थी। वेतन और पारिश्रमिक के स्थान पर भूमि अनुदान के नियम बन गए थे। इसमें राजाओं को यह सुविधा थी कि करों की वसूली करने और शांति व्यवस्था बनाये रखने का भार अनुदान प्राप्त करने वालों के ऊपर चला जाता था। परन्तु इससे राजा की शक्ति घटने लगी। उस समय ऐसे ऐसे इलाके बन गए जो राजकीय नियंत्रण से परे थे। इन सबके फलस्वरूप राजा के प्रभुत्व छेत्र को हड़पते हुए इन्ही भू स्वामियों ने खुद को राजपूत कहना शुरू कर दिया।
राजपूतों से सम्बंधित कहानी
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राजपूतों से सम्बन्ध में एक कहानी यह भी है कि जब विश्वामित्र ने वशिष्ठ ऋषि की कामधेनु गाय चुरा ली तो वशिष्ठ ने गाय प्राप्त करने के लिए आबू पर्वत में यघ किया। उनके तप से एक नायक उत्पन्न हुआ। इस नायक ने विश्वामित्र को हराकर कामधेनु वशिष्ठ को सौंप दी। वशिष्ट ने उस नायक को परमार कहा। परमार के वंशज राजपूत कहलाये। इन वंशजो में परमार , चालुक्य, चौहान और प्रतिहार थे।
इन्ही राजपूतों ने जिनमे चंदेल थे , जैन, विष्णु ,शिव ,को समर्पित कई मंदिर बनवाये। जिनमे खुजराहो का कंदरिया महादेव मंदिर अति प्रसिद है। गंग वंश के नरसिम्हा प्रथम ने कोर्णाक का सूर्य मंदिर बनवाया। राजपूतों के इसी काल में नाटक, काव्य एवं ग्रन्थ लिखे गए। जिनमे राजशेखर का बाल रामायण,भारवि का किरातार्जुन, माघ का शिशुपाल वध ,कल्हण का रजतरंगनी और चंदरबरदाई का प्रथ्वीराज रासो प्रमुख है। इतिहास नहीं कहता की धींवर और उसकी उपजातियों का राजपूत होने से कोई निकट का कोई सम्बन्ध भी रहा होगा।
जय कश्यप ! जय निषाद !
लेखक -सुरेश
कश्यप
सुरेश कश्यप जी कश्यप लगाना भी आत्मग्लानि दूर करने का जरिया है, पहले पूर्ण रूप से इतिहास का अधययन करे तब आप को मालूम चल जायेगा की ये वास्तविक है या आत्मग्लानि का जरिया
ReplyDeleteSuraj ji kese h aap baat me aapki dum kam h
DeleteSuraj ji kese h aap baat me aapki dum kam h
DeleteHlo suresh first all u are fool and nothing plz apni society ko grow up Karo not backing .u r. Uneducated plz collect information then post and don't wash your own mind by rrs OK
DeleteHam Rajput khatriye hote h jin biradri ke raja hue be rajput hue tum galat ho jay kashyap jay nishad raj
Deletesuresh kashyap g ko kuch nahi pata hai kashyap samaaj k baare e
ReplyDeleteRight
Deleteअरे तुम कश्यप लिखते ही क्यों हो
ReplyDeleteधींवर लिखो
Rana na likho akbar ke phoot likho tum
DeleteRana na likho akbar ke phoot likho tum
DeleteTu भी राणा या राजपूत मत लिख कश्यपka इतिहास पढ उसके बाद बात कर
Deleteहम कश्यप ऋषि के वंशज है ओर इस बात पर हमे गर्व है !और तुम होली का त्योहार पूजना छोड दो ।क्योकि होली का त्यौहारकश्यप वंश की देन हैं !जय हो कश्यप देवता!
DeleteSahi kaha h chod do holi manana.. Jisko bhi problem h is kashyap shamaj se...
DeleteRana pratap se pahale ka kuch apna bata de kaise rajput ho tum... Tum wahi log ho jo musalmano ki taraf se ladte the
DeleteMaharaja guhraj nishad kon the be
Deleteहोली हिन्दू का त्योहार है इसमें किसी कश्यप ना नहीं बनाय
DeleteTum rana kyu likhte ho rajpot likho
ReplyDeleteAchha effort
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ReplyDeleteSuresh Kumar tuje adhura gyan h
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ReplyDeleteradhekashyap
Deleteश्री मान कश्यप समाज को नमस्कार
DeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteइतिहास
ReplyDeleteकश्यप समाज का इतिहास हिन्दू धर्म ग्रंथों के अनुसार प्रथम चक्रवर्ती सम्राट हिरण्याक्ष इसी वंश में हुआ करते थे। कश्यप वंश से ही सूर्यवंश, इक्ष्वाकु वंश , व रघुवंश (जो बाद में अलग हो गए) की उत्पत्ति हुई हैं।
उपनाम
कश्यप राजपूत, मेहरा राजपूत, कश्यप, कहार , चन्द्रवंशी क्षत्रिय, डोगरा, जामवाल, राजपूत, क्षत्रिय, धीवर, झीवर, बर्मन, वर्मन, वर्धन, डेका, कलिता, कल्यान, भोई राजपूत, भोई, निषाद,गोंड , चोल, चेर, पाण्ड्य, मल्लाह राजपूत, मल्लाह, सूर्यवंशी क्षत्रिय, कीर, गंगापुत्र, अग्निकुल क्षत्रिय, वन्यकुल क्षत्रिय, वन्नियार, Vanniyar , किरात, बेस्ता, बेदार, पाण्ड्य, जाधव, भोयर, राज भोई, कोली, कोल, पल्लव, मुदिराजा, मुथुराजा, आदि
theek se samj na aaya ho to phr se samju......next time puri info leke he blog lekhna
regd
Amit Rajput
सत्य को बढाने में आपका सराहनीय कदम है।कुछ मुर्ख अपने आप को कश्यप कहने को हीन मानते है। या दुसरो की गुलामी मे खुश रहते है।भरत सिंह कश्यप चाँदपुर दिल्ली
Deleteमुझे ये जानकारी लानी हैं कि हम कश्यप है
Deleteओर जो कश्यप राजपूत जो लिखते हैं यो सही है या गलत
8279762760 नीरज कश्यप सहारनपुर
Pagal ho gya ho Kashyap hi to the jo mahbharat or Ramayan dono main the , mosam badlta rahta hai pahle Hmara Raaj the fir Inka Aya or fir Hmara ayega ..
ReplyDeleteGood
DeleteBhai itihass ki achi c jankari dalo yaar ... Taki sbko pta chle ki Hm koun h ye hamari pidi dr pidi ka swaal h
ReplyDeleteBhai itihass ki achi c jankari dalo yaar ... Taki sbko pta chle ki Hm koun h ye hamari pidi dr pidi ka swaal h
ReplyDeleteAre kashyap samaj k logo ap ase he ledte rahoge kya yar kuch lagao ya na lagao apne name k aage PR ye to kaho hum kashyap samaj k log ak h chahe koi kashyap bhai apne name k peche rajpoot lagay ya dhever lagay ya nesahad lagay kya frk pedta h PR ak to rahi
ReplyDeleteSopiano gotra hai kia
ReplyDeleteSopiano gotra hai kia
ReplyDeleteKashyap kya brahman mai aate ha kya ya sc mai
ReplyDeleteKashyap samaj ke sat sat naman
ReplyDeletekahane tu palat ke rakh diga kashyap ka chura
DeleteTujhe kashyap lagane se pahle saram aani chaiye kutte manav ki utpatti hi humse shuru hui h raj kashyap rajput
ReplyDeleteKamalkishor nishad rajput
ReplyDeleteMadarchod kashyap lagata kyu hai
ReplyDeletebhai loga ko lad rahe ho chye koi bhi jati ka ho bs hum hindu hai na koi bhi rajput ho yah kashyap ho hai to hindu bhai हिंदू भाईं एकता जिन्दबाद
ReplyDeleteकश्यप राजपूत महर्षि कश्यप के वंशज होने के कारण ये कश्यप राजपूत उपनाम लगाते हैं। ये मूलरूप से शैव धर्म को मानते हैं। कश्यप शैव समाज का इतिहास काफी प्राचीनतम हैं। क्योंकि सिंधु घाटी सभ्यताओं के जनक इनके आदिपूर्वज रहें हैं। कश्यप राजपूत सिक्ख, शैव व बौद्ध धर्म में पायें जाते हैं। इतिहास कश्यप समाज का इतिहास हिन्दू धर्म ग्रंथों के अनुसार प्रथम चक्रवर्ती सम्राट हिरण्याक्ष इसी वंश में हुआ करते थे। कश्यप वंश से ही सूर्यवंश, इक्ष्वाकु वंश, व रघुवंश (जो बाद में अलग हो गए) की उत्पत्ति हुई हैं। उपनाम कश्यप राजपूत, मेहरा राजपूत, कश्यप, कहार, चन्द्रवंशी क्षत्रिय, डोगरा, जामवाल, राजपूत, क्षत्रिय, धीवर, झीवर, बर्मन, वर्मन, वर्धन, डेका, कलिता, कल्यान, भोई राजपूत, भोई, निषाद,गोंड, चोल, चेर, पाण्ड्य, मल्लाह राजपूत, मल्लाह, सूर्यवंशी क्षत्रिय, कीर, गंगापुत्र, अग्निकुल क्षत्रिय, वन्यकुल क्षत्रिय, वन्नियार, Vanniyar, किरात, बेस्ता, बेदार, पाण्ड्य, जाधव, भोयर, राज भोई, कोली, कोल, पल्लव, मुदिराजा, मुथुराजा, आदि 'महापुरुष व देव' महादेव शिव महर्षि कश्यप महर्षि कालू बाबा सम्राट हिरण्यकश्यप सम्राट इक्ष्वाकु सम्राट महाबली राजा वेन सम्राट जरासन्ध सम्राट वाणासुर निषादराज गुह्य एकलव्य श्री राम राजा ध्रुव राजा नल सम्राट स्कंदवर्मन राजा हरिश्चंद्र महारानी दुर्गावती राजेन्द्र चोल महाराज गुलाब सिंह बाबा मोतीराम मेहरा भाई हिम्मत सिंह झिंवर सन्त भीमा भोई.
ReplyDeleteराम जी को छात्रय माना जाता है और बह्मा जी की 39 वी पीढ़ी मे उनका जन्म हुआ और बह्मा जी के पुत्र मिरिचि थे उनसे ही ऋषि कश्यप का जन्म हुआ और फिर पीढ़ी दर पीढ़ी बनती रही
ReplyDeleteये सब जानते हुए तो लगता है कश्यप राजपूत होते है
ओर आपका कहना है कि राजपूत एक राजाओ की पीढ़ी को कहा जाता है क्या हिरण्यकश्यप राजा नही थे
ओर बहोत सी सूची है जिन मे आपको कश्यप राजाओ की लिस्ट मिले गी
जातियों को काम के हिसाब से बांटा गया है। अगर कश्यप जाती sc में आते है तो इनका काम क्या था फिर,पेशा क्या था बताओ कोई
ReplyDeleteअरे भाई क्यों चक्कर में पड़े हो इस madarchod को समझआने में
DeleteKashyap pahle ke time main raja maharaja huaa krte the Kashyap hi rajpoot the
ReplyDeleteHum pukkai rajput hai bus apnai app ko pahaichannai ki jarurat hai hamara sumband Ramayana or Mahabharata sai hai
ReplyDeleteJo suresh kashyap ji nai likha hai vo sharmnak hai usai tyrant batao yah lekha hua samaj mai kashyap rajputo per dhabba hai
ReplyDeleteIs blog ko hatao sahi jankari k sath blog likho
ReplyDeleteMai Suresh Kashyap ki halat samajh sakta hu ye apni garibi pichhara pan ke karan Apne aap Ko Rajput manna swikar nhi kar pa rahe hai Lekin inhe pata hona chahiye ki aadmi ki stithi har samay ek jaisa nhi hota hai rajtantra samapt hone ke bad bahut se Rajputo ki stithi bahut dainiya ho gya hai jai mallah Rajput jai mahrishi kasyap Jay kasyab rajput
ReplyDeleteअरे भाई कोई बताएगा, निषाद को ही कश्यप बोलते है क्या,
Deleteमैं राहुल निषाद from बिहारी 🙏
Nishad ko bhi Kashyap bolate Hain
DeleteYeah Jo suresh ne likha hai ese hatao....
ReplyDeleteHa ha suresh ji kai likhai blog ko turant hatao
ReplyDeleteVo sapt rishi kon thai jinhonai nahush ki doli uthayi thi
ReplyDeleteVo sapt rishi kon thai jinhonai nahush ki doli uthai thi
ReplyDeletetu chutiya hai ghanta kuch na pata tujhe aur sun har kashyap rajput hai iska saboot mein tujhe de sakta hu
ReplyDeleteInteresting article pls also read our Article on rajputo ka itihas
ReplyDeleteTeri ma ka bhosda sale hijde ki aulad itihash pad bahanchod sale tu pakka kewat ki aulad hai
ReplyDeleteहम भोई राजपूत कश्यप है फ्रॉम हरियाणा यहाँ कश्यप राजपूत ही name से पहचान है हमारी
ReplyDeleteSuresh bhai mujhe lagta hai aapko Kashyap rajputon ka itihaas 1 book hai vah padhne ki jarurat hai usmein dekhenge court mein ek judgement diya hai.judgement ki copy use Book mein lagi hai jismein hamen Kashyap Rajput Mana gaya hai.
ReplyDeleteनिषाद का इतना titale माथा पगला जाता है
ReplyDeleteये सब देख कर,
साला
Jai kashyap rajputana
ReplyDeleteनिषाद, कहार , केवट-माझी ,भोई , धीवर, कश्यप, राजपूत आदि जातियां और उपाधियां एक नही है।
ReplyDeleteनिषाद राजा मनु/शतरूपा(ब्राह्मण राजा) के वंशज हैं जो की सूर्यवंशी नही थे। इनका कश्यप वंशी वैस्वत मनु (क्षत्रीय) से कोई संबंध नहीं है।
वाल्मीकि रामायण में निषाद और केवट का उल्लेख मिलता हैं। केवट वस्तुत कर्म हैं जिसे निषाद जाति के लोगों ने किया तो ये लोग केवट कहलाए। माझी भी नाव खेने यानी केवट कर्म करने वाले को ही बोला जाता हैं।
जबकि मुसहर माझी एक दलित जाति हैं जो चूहे पकड़ कर खाती हैं।
कहार भी एक कर्म हैं जिसे चंद्रवंशी रवानी क्षत्रीय द्वारा भी मध्यकाल में किया गया तो उनको भी चंद्रवशी कहार बोला जाने लगा जबकि वे राजपूत हैं जो की महाराज जरासंध के वंशज हैं। कुछ निषाद/कीर जातियों के द्वारा भी ये कर्म किया गया तो ये लोग वर्तमान के कहार हैं जबकि रवानी कहार राजपूत हैं।
भोई एक उपाधि हैं जो की सम्पन्न वर्ग के लिए प्रयोग में की गई परमार राजपूतों की एक शाखा को भोई/भोईर/भोईते बोला गया जो की उनकी उपाधि है। राजपूत क्षत्रिय कुलों का एक समूह जिनमें कुछ प्राचीन क्षत्रीय कुल भी हैं वे समूह गुजरात, राजस्थान, मध्यप्रदेश, में विस्तृत हो गए इनको भोई कहकर संबोधित किया गया। वही गोंड जाति को भी भोई की उपाधि दी जाती हैं। भोई का अर्थ सम्पन्न वर्ग से लिया गया हैं।
कश्यप कोई जाती नहीं हैं ये प्रथम क्षत्रीय कुल है जिससे सूर्यवंश नागवंश अग्निवंश की उत्पत्ति हुई हैं। इस क्षत्रीय कुल में हिरण्य कश्यप, इंद्र, प्रह्लाद, महाबली, इक्ष्वाकु, सूर्य, हरिश्चंद, भागीरथ, सम्राट वाण, मर्यादा पुरुषोत्तम राजा रामचंद्र जैसे शक्तिशाली राजा महाराजा हुए। इसी वंश से शाखाएं विभाजित होकर स्वतंत्र राजपुत क्षत्रीय कुल बनती गई। इस कुल की मूल शाखाओं का साम्राज्य अयोध्या, शोणितपुर, सिगिरया श्रीलंका, राजस्थान के हिंडौन सिटी, आदि पर रहा ये लोग वर्तमान में कश्यप राजपुत या मरिचिवंशी क्षत्रीय कहते हैं। और आंशिक रूप से गुजरात, राजस्थान और मूल रूप से मध्यप्रदेश में फैले हुए हैं। इनके अलावा कश्यप उपनाम का प्रयोग भूमिहार भी करते हैं जो की खुद को कभी भूमिहार ब्राह्मण तो कभी भूमिहार ठाकुर भी कहते हैं। अंजना ओम कश्यप इसी बिरादरी से आती हैं। साथ ही झीवर बढ़ई जाति के रूप में चिन्हित की गई है जो की आज खुद को कश्यप राजपुत लिख रही हैं जिसका कश्यप से दूर दूर तक कोई संबंध नही हैं।
अत निषाद कहार और अन्य जातियों से अनुरोध हैं आप लोग कश्यप लिखकर अपनी जातीय अत्मग्लानी दूर न करे।
कश्यप केवल राजपुत क्षत्रीय हैं और इनके अलावा कोई कश्यप नहीं हैं।
हम राजपूत नहीं हम कश्यप कुल से है कश्यप क्षत्रिय: राजा बलि के बंसज प्रथम चक्रवर्ती सम्राट हिरण्याक्ष के वनसज हम आदिवासी है हम्ही धरती के मालिक हैं सीधी बात किया करो जय चक्रवर्ती सम्राट हिरण्याक्ष जय बाबा साहब जय गौतम बुद्ध जय महादेव जय रानीदुर्गावती 👑🚣🌳🌍🇮🇳
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