Wednesday, September 11, 2013

क्या कश्यप "राजपूत" हैं

क्या कश्यप "राजपूत" हैं 
*****************
धींवर जाति सहित कुछ और उपजातियां जो कश्यप शीर्षक का प्रयोग करती हैं, उनमे से अधिकांश कश्यप शीर्षक के आगे " राजपूत " शब्द लगते हैं। उनके द्वारा राजपूत शब्द लगाना केवल स्ववं की जातिगत आताम्ग्लानी को दूर करना मात्र है। वास्तविकता यह है कि इन जातियों का "राजपूत" होने से दूर -दूर तक कोई एताहासिक सम्बन्ध नहीं है।
 
कौन थे राजपूत ?
************************
राजपूत संस्कृत शब्द "राजपुत्र " का बिगड़ा हुआ रूप है। यह शब्द राजकुमार या राजवंश का सूचक था। शने : शने:छत्रिय वर्ग राजपूत नाम से प्रसिद्ध हो गया। 
दरअसल प्राचीन समाज के मध्यकालीन समाज में बदलने के पीछे राजाओं द्वारा चलाई गई भूमि अनुदान की प्रथा थी। वेतन और पारिश्रमिक के स्थान पर भूमि अनुदान के नियम बन गए थे। इसमें राजाओं को यह सुविधा थी कि करों की वसूली करने और शांति व्यवस्था बनाये रखने का भार अनुदान प्राप्त करने वालों के ऊपर चला जाता था। परन्तु इससे राजा की शक्ति घटने लगी। उस समय ऐसे ऐसे इलाके बन गए जो राजकीय नियंत्रण से परे थे। इन सबके फलस्वरूप राजा के प्रभुत्व छेत्र को हड़पते हुए इन्ही भू स्वामियों ने खुद को राजपूत कहना शुरू कर दिया। 

राजपूतों से सम्बंधित कहानी 
***********************
राजपूतों से सम्बन्ध में एक कहानी यह भी है कि जब विश्वामित्र ने वशिष्ठ ऋषि की कामधेनु गाय चुरा ली तो वशिष्ठ ने गाय प्राप्त करने के लिए आबू पर्वत में यघ किया। उनके तप से एक नायक उत्पन्न हुआ। इस नायक ने विश्वामित्र को हराकर कामधेनु वशिष्ठ को सौंप दी। वशिष्ट ने उस नायक को परमार कहा। परमार के वंशज राजपूत कहलाये। इन वंशजो में परमार , चालुक्य, चौहान और प्रतिहार थे। 
इन्ही राजपूतों ने जिनमे चंदेल थे , जैन, विष्णु ,शिव ,को समर्पित कई मंदिर बनवाये। जिनमे खुजराहो का कंदरिया महादेव मंदिर अति प्रसिद है। गंग वंश के नरसिम्हा प्रथम ने कोर्णाक का सूर्य मंदिर बनवाया। राजपूतों के इसी काल में नाटक, काव्य एवं ग्रन्थ लिखे गए। जिनमे राजशेखर का बाल रामायण,भारवि का किरातार्जुन, माघ का शिशुपाल वध ,कल्हण का रजतरंगनी और चंदरबरदाई का प्रथ्वीराज रासो प्रमुख है। इतिहास नहीं कहता की धींवर और उसकी उपजातियों का राजपूत होने से कोई निकट का कोई सम्बन्ध भी रहा होगा। 

जय कश्यप ! जय निषाद !

लेखक -सुरेश कश्यप 

65 comments:

  1. सुरेश कश्यप जी कश्यप लगाना भी आत्मग्लानि दूर करने का जरिया है, पहले पूर्ण रूप से इतिहास का अधययन करे तब आप को मालूम चल जायेगा की ये वास्तविक है या आत्मग्लानि का जरिया

    ReplyDelete
    Replies
    1. Suraj ji kese h aap baat me aapki dum kam h

      Delete
    2. Suraj ji kese h aap baat me aapki dum kam h

      Delete
    3. Hlo suresh first all u are fool and nothing plz apni society ko grow up Karo not backing .u r. Uneducated plz collect information then post and don't wash your own mind by rrs OK

      Delete
    4. Ham Rajput khatriye hote h jin biradri ke raja hue be rajput hue tum galat ho jay kashyap jay nishad raj

      Delete
  2. suresh kashyap g ko kuch nahi pata hai kashyap samaaj k baare e

    ReplyDelete
  3. अरे तुम कश्यप लिखते ही क्यों हो
    धींवर लिखो

    ReplyDelete
    Replies
    1. Rana na likho akbar ke phoot likho tum

      Delete
    2. Rana na likho akbar ke phoot likho tum

      Delete
    3. Tu भी राणा या राजपूत मत लिख कश्यपka इतिहास पढ उसके बाद बात कर

      Delete
    4. हम कश्यप ऋषि के वंशज है ओर इस बात पर हमे गर्व है !और तुम होली का त्योहार पूजना छोड दो ।क्योकि होली का त्यौहारकश्यप वंश की देन हैं !जय हो कश्यप देवता!

      Delete
    5. Sahi kaha h chod do holi manana.. Jisko bhi problem h is kashyap shamaj se...

      Delete
    6. Rana pratap se pahale ka kuch apna bata de kaise rajput ho tum... Tum wahi log ho jo musalmano ki taraf se ladte the

      Delete
    7. Maharaja guhraj nishad kon the be

      Delete
    8. होली हिन्दू का त्योहार है इसमें किसी कश्यप ना नहीं बनाय

      Delete
  4. Tum rana kyu likhte ho rajpot likho

    ReplyDelete
  5. This comment has been removed by the author.

    ReplyDelete
  6. Suresh Kumar tuje adhura gyan h

    ReplyDelete
  7. This comment has been removed by the author.

    ReplyDelete
    Replies
    1. श्री मान कश्यप समाज को नमस्कार

      Delete
  8. This comment has been removed by the author.

    ReplyDelete
  9. इतिहास


    कश्यप समाज का इतिहास हिन्दू धर्म ग्रंथों के अनुसार प्रथम चक्रवर्ती सम्राट हिरण्याक्ष इसी वंश में हुआ करते थे। कश्यप वंश से ही सूर्यवंश, इक्ष्वाकु वंश , व रघुवंश (जो बाद में अलग हो गए) की उत्पत्ति हुई हैं।

    उपनाम


    कश्यप राजपूत, मेहरा राजपूत, कश्यप, कहार , चन्द्रवंशी क्षत्रिय, डोगरा, जामवाल, राजपूत, क्षत्रिय, धीवर, झीवर, बर्मन, वर्मन, वर्धन, डेका, कलिता, कल्यान, भोई राजपूत, भोई, निषाद,गोंड , चोल, चेर, पाण्ड्य, मल्लाह राजपूत, मल्लाह, सूर्यवंशी क्षत्रिय, कीर, गंगापुत्र, अग्निकुल क्षत्रिय, वन्यकुल क्षत्रिय, वन्नियार, Vanniyar , किरात, बेस्ता, बेदार, पाण्ड्य, जाधव, भोयर, राज भोई, कोली, कोल, पल्लव, मुदिराजा, मुथुराजा, आदि




    theek se samj na aaya ho to phr se samju......next time puri info leke he blog lekhna

    regd
    Amit Rajput

    ReplyDelete
    Replies
    1. सत्य को बढाने में आपका सराहनीय कदम है।कुछ मुर्ख अपने आप को कश्यप कहने को हीन मानते है। या दुसरो की गुलामी मे खुश रहते है।भरत सिंह कश्यप चाँदपुर दिल्ली

      Delete
    2. मुझे ये जानकारी लानी हैं कि हम कश्यप है
      ओर जो कश्यप राजपूत जो लिखते हैं यो सही है या गलत

      8279762760 नीरज कश्यप सहारनपुर

      Delete
  10. Pagal ho gya ho Kashyap hi to the jo mahbharat or Ramayan dono main the , mosam badlta rahta hai pahle Hmara Raaj the fir Inka Aya or fir Hmara ayega ..

    ReplyDelete
  11. Bhai itihass ki achi c jankari dalo yaar ... Taki sbko pta chle ki Hm koun h ye hamari pidi dr pidi ka swaal h

    ReplyDelete
  12. Bhai itihass ki achi c jankari dalo yaar ... Taki sbko pta chle ki Hm koun h ye hamari pidi dr pidi ka swaal h

    ReplyDelete
  13. Are kashyap samaj k logo ap ase he ledte rahoge kya yar kuch lagao ya na lagao apne name k aage PR ye to kaho hum kashyap samaj k log ak h chahe koi kashyap bhai apne name k peche rajpoot lagay ya dhever lagay ya nesahad lagay kya frk pedta h PR ak to rahi

    ReplyDelete
  14. Kashyap kya brahman mai aate ha kya ya sc mai

    ReplyDelete
  15. Kashyap samaj ke sat sat naman

    ReplyDelete
    Replies
    1. kahane tu palat ke rakh diga kashyap ka chura

      Delete
  16. Tujhe kashyap lagane se pahle saram aani chaiye kutte manav ki utpatti hi humse shuru hui h raj kashyap rajput

    ReplyDelete
  17. Madarchod kashyap lagata kyu hai

    ReplyDelete
  18. bhai loga ko lad rahe ho chye koi bhi jati ka ho bs hum hindu hai na koi bhi rajput ho yah kashyap ho hai to hindu bhai हिंदू भाईं एकता जिन्दबाद

    ReplyDelete
  19. कश्यप राजपूत महर्षि कश्यप के वंशज होने के कारण ये कश्यप राजपूत उपनाम लगाते हैं। ये मूलरूप से शैव धर्म को मानते हैं। कश्यप शैव समाज का इतिहास काफी प्राचीनतम हैं। क्योंकि सिंधु घाटी सभ्यताओं के जनक इनके आदिपूर्वज रहें हैं। कश्यप राजपूत सिक्ख, शैव व बौद्ध धर्म में पायें जाते हैं। इतिहास कश्यप समाज का इतिहास हिन्दू धर्म ग्रंथों के अनुसार प्रथम चक्रवर्ती सम्राट हिरण्याक्ष इसी वंश में हुआ करते थे। कश्यप वंश से ही सूर्यवंश, इक्ष्वाकु वंश, व रघुवंश (जो बाद में अलग हो गए) की उत्पत्ति हुई हैं। उपनाम कश्यप राजपूत, मेहरा राजपूत, कश्यप, कहार, चन्द्रवंशी क्षत्रिय, डोगरा, जामवाल, राजपूत, क्षत्रिय, धीवर, झीवर, बर्मन, वर्मन, वर्धन, डेका, कलिता, कल्यान, भोई राजपूत, भोई, निषाद,गोंड, चोल, चेर, पाण्ड्य, मल्लाह राजपूत, मल्लाह, सूर्यवंशी क्षत्रिय, कीर, गंगापुत्र, अग्निकुल क्षत्रिय, वन्यकुल क्षत्रिय, वन्नियार, Vanniyar, किरात, बेस्ता, बेदार, पाण्ड्य, जाधव, भोयर, राज भोई, कोली, कोल, पल्लव, मुदिराजा, मुथुराजा, आदि 'महापुरुष व देव' महादेव शिव महर्षि कश्यप महर्षि कालू बाबा सम्राट हिरण्यकश्यप सम्राट इक्ष्वाकु सम्राट महाबली राजा वेन सम्राट जरासन्ध सम्राट वाणासुर निषादराज गुह्य एकलव्य श्री राम राजा ध्रुव राजा नल सम्राट स्कंदवर्मन राजा हरिश्चंद्र महारानी दुर्गावती राजेन्द्र चोल महाराज गुलाब सिंह बाबा मोतीराम मेहरा भाई हिम्मत सिंह झिंवर सन्त भीमा भोई.

    ReplyDelete
  20. राम जी को छात्रय माना जाता है और बह्मा जी की 39 वी पीढ़ी मे उनका जन्म हुआ और बह्मा जी के पुत्र मिरिचि थे उनसे ही ऋषि कश्यप का जन्म हुआ और फिर पीढ़ी दर पीढ़ी बनती रही

    ये सब जानते हुए तो लगता है कश्यप राजपूत होते है

    ओर आपका कहना है कि राजपूत एक राजाओ की पीढ़ी को कहा जाता है क्या हिरण्यकश्यप राजा नही थे
    ओर बहोत सी सूची है जिन मे आपको कश्यप राजाओ की लिस्ट मिले गी

    ReplyDelete
  21. जातियों को काम के हिसाब से बांटा गया है। अगर कश्यप जाती sc में आते है तो इनका काम क्या था फिर,पेशा क्या था बताओ कोई

    ReplyDelete
    Replies
    1. अरे भाई क्यों चक्कर में पड़े हो इस madarchod को समझआने में

      Delete
  22. Kashyap pahle ke time main raja maharaja huaa krte the Kashyap hi rajpoot the

    ReplyDelete
  23. Hum pukkai rajput hai bus apnai app ko pahaichannai ki jarurat hai hamara sumband Ramayana or Mahabharata sai hai

    ReplyDelete
  24. Jo suresh kashyap ji nai likha hai vo sharmnak hai usai tyrant batao yah lekha hua samaj mai kashyap rajputo per dhabba hai

    ReplyDelete
  25. Is blog ko hatao sahi jankari k sath blog likho

    ReplyDelete
  26. Mai Suresh Kashyap ki halat samajh sakta hu ye apni garibi pichhara pan ke karan Apne aap Ko Rajput manna swikar nhi kar pa rahe hai Lekin inhe pata hona chahiye ki aadmi ki stithi har samay ek jaisa nhi hota hai rajtantra samapt hone ke bad bahut se Rajputo ki stithi bahut dainiya ho gya hai jai mallah Rajput jai mahrishi kasyap Jay kasyab rajput

    ReplyDelete
    Replies
    1. अरे भाई कोई बताएगा, निषाद को ही कश्यप बोलते है क्या,
      मैं राहुल निषाद from बिहारी 🙏

      Delete
    2. Nishad ko bhi Kashyap bolate Hain

      Delete
  27. Yeah Jo suresh ne likha hai ese hatao....

    ReplyDelete
  28. Ha ha suresh ji kai likhai blog ko turant hatao

    ReplyDelete
  29. Vo sapt rishi kon thai jinhonai nahush ki doli uthayi thi

    ReplyDelete
  30. Vo sapt rishi kon thai jinhonai nahush ki doli uthai thi

    ReplyDelete
  31. tu chutiya hai ghanta kuch na pata tujhe aur sun har kashyap rajput hai iska saboot mein tujhe de sakta hu

    ReplyDelete
  32. Interesting article pls also read our Article on rajputo ka itihas

    ReplyDelete
  33. Teri ma ka bhosda sale hijde ki aulad itihash pad bahanchod sale tu pakka kewat ki aulad hai

    ReplyDelete
  34. हम भोई राजपूत कश्यप है फ्रॉम हरियाणा यहाँ कश्यप राजपूत ही name से पहचान है हमारी

    ReplyDelete
  35. Suresh bhai mujhe lagta hai aapko Kashyap rajputon ka itihaas 1 book hai vah padhne ki jarurat hai usmein dekhenge court mein ek judgement diya hai.judgement ki copy use Book mein lagi hai jismein hamen Kashyap Rajput Mana gaya hai.

    ReplyDelete
  36. निषाद का इतना titale माथा पगला जाता है
    ये सब देख कर,
    साला

    ReplyDelete
  37. निषाद, कहार , केवट-माझी ,भोई , धीवर, कश्यप, राजपूत आदि जातियां और उपाधियां एक नही है।
    निषाद राजा मनु/शतरूपा(ब्राह्मण राजा) के वंशज हैं जो की सूर्यवंशी नही थे। इनका कश्यप वंशी वैस्वत मनु (क्षत्रीय) से कोई संबंध नहीं है।
    वाल्मीकि रामायण में निषाद और केवट का उल्लेख मिलता हैं। केवट वस्तुत कर्म हैं जिसे निषाद जाति के लोगों ने किया तो ये लोग केवट कहलाए। माझी भी नाव खेने यानी केवट कर्म करने वाले को ही बोला जाता हैं।
    जबकि मुसहर माझी एक दलित जाति हैं जो चूहे पकड़ कर खाती हैं।
    कहार भी एक कर्म हैं जिसे चंद्रवंशी रवानी क्षत्रीय द्वारा भी मध्यकाल में किया गया तो उनको भी चंद्रवशी कहार बोला जाने लगा जबकि वे राजपूत हैं जो की महाराज जरासंध के वंशज हैं। कुछ निषाद/कीर जातियों के द्वारा भी ये कर्म किया गया तो ये लोग वर्तमान के कहार हैं जबकि रवानी कहार राजपूत हैं।
    भोई एक उपाधि हैं जो की सम्पन्न वर्ग के लिए प्रयोग में की गई परमार राजपूतों की एक शाखा को भोई/भोईर/भोईते बोला गया जो की उनकी उपाधि है। राजपूत क्षत्रिय कुलों का एक समूह जिनमें कुछ प्राचीन क्षत्रीय कुल भी हैं वे समूह गुजरात, राजस्थान, मध्यप्रदेश, में विस्तृत हो गए इनको भोई कहकर संबोधित किया गया। वही गोंड जाति को भी भोई की उपाधि दी जाती हैं। भोई का अर्थ सम्पन्न वर्ग से लिया गया हैं।
    कश्यप कोई जाती नहीं हैं ये प्रथम क्षत्रीय कुल है जिससे सूर्यवंश नागवंश अग्निवंश की उत्पत्ति हुई हैं। इस क्षत्रीय कुल में हिरण्य कश्यप, इंद्र, प्रह्लाद, महाबली, इक्ष्वाकु, सूर्य, हरिश्चंद, भागीरथ, सम्राट वाण, मर्यादा पुरुषोत्तम राजा रामचंद्र जैसे शक्तिशाली राजा महाराजा हुए। इसी वंश से शाखाएं विभाजित होकर स्वतंत्र राजपुत क्षत्रीय कुल बनती गई। इस कुल की मूल शाखाओं का साम्राज्य अयोध्या, शोणितपुर, सिगिरया श्रीलंका, राजस्थान के हिंडौन सिटी, आदि पर रहा ये लोग वर्तमान में कश्यप राजपुत या मरिचिवंशी क्षत्रीय कहते हैं। और आंशिक रूप से गुजरात, राजस्थान और मूल रूप से मध्यप्रदेश में फैले हुए हैं। इनके अलावा कश्यप उपनाम का प्रयोग भूमिहार भी करते हैं जो की खुद को कभी भूमिहार ब्राह्मण तो कभी भूमिहार ठाकुर भी कहते हैं। अंजना ओम कश्यप इसी बिरादरी से आती हैं। साथ ही झीवर बढ़ई जाति के रूप में चिन्हित की गई है जो की आज खुद को कश्यप राजपुत लिख रही हैं जिसका कश्यप से दूर दूर तक कोई संबंध नही हैं।
    अत निषाद कहार और अन्य जातियों से अनुरोध हैं आप लोग कश्यप लिखकर अपनी जातीय अत्मग्लानी दूर न करे।
    कश्यप केवल राजपुत क्षत्रीय हैं और इनके अलावा कोई कश्यप नहीं हैं।

    ReplyDelete
  38. हम राजपूत नहीं हम कश्यप कुल से है कश्यप क्षत्रिय: राजा बलि के बंसज प्रथम चक्रवर्ती सम्राट हिरण्याक्ष के वनसज हम आदिवासी है हम्ही धरती के मालिक हैं सीधी बात किया करो जय चक्रवर्ती सम्राट हिरण्याक्ष जय बाबा साहब जय गौतम बुद्ध जय महादेव जय रानीदुर्गावती 👑🚣🌳🌍🇮🇳

    ReplyDelete