निषाद संस्कृति और सोशल ग्रुप ध्वजवाहक
मछुआ समाज आज अपनी बातों को सोशल मीडिया के
माध्यम से आज खुल कर रखने लगा है । पूरे
देश में अलग-अलग नाम से मछुआ समाज के जातिया आज हर कोई आज समझने लगा है की हम एक
ही भाई है । भले ही महाराष्ट्र के कोली हो या हरियाणा के कश्यप राजपूत कहे जाने जो
पिछड़े वर्ग में आति है । भले ही उत्तरप्रदेश के बिंद,केवट माझी , रैकवार ...तुरहा
आदि आज यह सब जातिया समझने लगी है की हम मछुआ समाज के भाई है ।
इतिहास के जानकारी –
सोशल मीडिया के माध्यम से फेसबूक ग्रुप All India SC/ST Fishermen`s Council के माध्यम से निषाद
संस्कृति के इतिहास को गहराई से रखने का काम किया। इसके संस्थापक या ग्रुप के संस्थापक अरुण कुमार
तौरहिया जी है जो आए दिन समाज के जानकारी देने के काम करते है । मछुआ समाज पर हो
रहे आये दिन शोषण के खिलाफ आवाज बुलंद करने के काम करते है । इस ग्रुप पर और बहुत
से समाज के चिंतक है जो समय समय पर अपना विचार रखने के काम करते है । मछुआ समाज के
पूरे देश से जुड़े मछुआ समाज के सभी जातियों के लोग आज समझने लगे है की आखिर कार हम
ही या हमारा समाज शोषण क्यो हो रहा है । आज यह ग्रुप सोचने पर मजबूर कर दिया है ।
आरक्षण –
हर प्रदेश में
मछुआ समाज के आर्थिक कमजोरी है । जिसके कारण हर प्रदेश में आरक्षण के माँग हो रहा
है । । उत्तर प्रदेश में मछुआ समाज के जातियों के अनुसूचित जाति में सामील करने के
लिए आए दिन इस ग्रुप All India SC/ST Fishermen`s Council पर विचार-विमर्श होता रहता
है। लेकिन एक कहावत है की जब तक आम हो तब
तक कोई पूछने वाला नहीं है, जैसे की सत्ता के बाहर हो तो
चिल्लाते रहो को सुनने वाला नहीं है ।
सोशल मीडिया
ने आज आम को विशेष बना दिया है। लोग आज
पूरे देश में एक दूसरे से जुड़ने के मैका मिला साथ ही आज फोन से बाते हो जा रही है।
एक दूसरे को समझने लगे है । संस्कृति के
जुड़ाव के रूप में फिर से एक होते हुएँ नजर आ रहे है ।
All India SC/ST Fishermen`s Council ग्रुप पर अरुण जी मछुआ समाज
के हर समस्या को उढ़ाने का काम किए है । समझने के साथ उसके दुख दर्द को सभी से को
परचित कराएं ।
वहीं इस सभी
ग्रुपAll India SC/ST Fishermen`s Council
राजनीतिक मंच (common minimum group रैकवार,निषाद,माझी कश्यप ,बिन्द आदि 3- अखिल भारतीय मछुआ नवनिर्माण मंच ,पर लिखने वाले रामप्रसाद रैकवार । अपनी कविता के माध्यम से समाज को सोचने के लिए
विवश करती है ।
आवाज दो हम एक
हे ...आवाज दो हम एक हे ...
अब तो सारी बात बदल दो ....!
आवाज का वो साज बदल दो .!!
कमजोर न हो किसी आवाज अब .!
सारे ताज के वो राज बदल दो .....!!
बदल चुकी हे हर युवा की आवाज .!
रोज की अब तो आवाज बदल दो .!!
नहीं दो अब उनका साथ अब .....!
एक शब्द से कायनात बदल दो .!!
अटक गई हे उनकी गले में सबकी साँसे .!
एक बार तो यह राज बदल दो ............!!
हमारी एकता जिन्दाबाद ...हमारी एकता जिन्दाबाद
जय कश्यप ...जय निषाद
लेखक/रचनाकार: रामप्रसाद रैकवार ...
अब तो सारी बात बदल दो ....!
आवाज का वो साज बदल दो .!!
कमजोर न हो किसी आवाज अब .!
सारे ताज के वो राज बदल दो .....!!
बदल चुकी हे हर युवा की आवाज .!
रोज की अब तो आवाज बदल दो .!!
नहीं दो अब उनका साथ अब .....!
एक शब्द से कायनात बदल दो .!!
अटक गई हे उनकी गले में सबकी साँसे .!
एक बार तो यह राज बदल दो ............!!
हमारी एकता जिन्दाबाद ...हमारी एकता जिन्दाबाद
जय कश्यप ...जय निषाद
लेखक/रचनाकार: रामप्रसाद रैकवार ...
इनकी हर कविता
से आए दिन सभी ग्रुप से जुड़े मछुआ समाज के लोग सोचने और विचार-विमर्श के लिए मजबूर
कर देते है ।
लेकिन यह समाज
एक तरफ भूख से मरे जा रहा है की कैसे दो जून के रोटी को व्यवस्था करने के लिए
मजबूर है। फिर भी समाज के सोशल ग्रुप के
माध्यम से आज इन निषाद विचारोंक ने सोचने के लिए मजबूर कर दिया है की कब तक भूखे रहोगे अपनी आवाज को बुलंद करो और कूद जाओ अपनी आजादी के संस्कृति
में और एक करने में तब देखों सत्ता किस खेत की मुल्ली है । बना लो अपनी दुनिया फिर
से रच दो इतिहास आज इन निषाद विचारको ने आवाज देने के काम किया है ।
वही निषाद समाज
के अनिल कश्यप झांसी अपनी लेखनी के माध्यम से मछुआ समाज के नेताओ को जो
हर पार्टी से जुड़े है । नेताओ के दलाली से
लेकर समाज को किस तरह से दीमक की तरह चाट रहे है। समाज को नर्क में ले जाने के काम किए है । नेता आज
अपनी बात या मछुआ समाज के बात न करके पार्टी के बातों के रखने के काम करते है। नेताओ के प्रति सतर्क करने का काम किए साथ ही समाज
के धरातल पर काम जैसे मछुआ समाज के झांसी में जनगंणना कराने का श्रेय है । जो निषाद
संस्कृति की एक बड़ी उपल्बधी के रूप में देखा जा सकतीहै । आए दिन समाज को मजबूती प्रदान
कराने से लेकर धरातल पर जा कर लोगो से मिल कर उसके अधिकार के लड़ाई और आदोलन खड़ा कराने
के काम करते है
आज सोशल मीडिया
ने आज समाज के हर जिले और हर प्रदेश के बुधजीवी ग्रुप पर समाज के जानकारी देने के काम
कर रहे है । जो आने वाले दिन में निषाद संस्कृति मजबूती प्रदान करेगी ।
लेखक
बलराम बिन्द
Samaj ke Shree Arun Kumar Turaiha ji aur Shree Ramprasad Raikwar ji achchhe Lekhak, Kavi aur Vicharak hone ke saath saath bahut sachchhe samaj hitaishi hain. Inake sath Balram ji aur Suresh Kumar Kashyap ji aap dono ka kam yogdan nahin hai social media par samaj ki baten samane lane ke liye. Main aap sabhi logon ka vishesh aabhari hoon jo samaj ko sudrdh karne ke liye orayasrat hain.
ReplyDeleteहमे बताऐ कि तुरहा जाती के वंशज कौन है क्रप्या कर मेरे मो 9852869873 पर फोन कर बताने का कस्ट कर
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