लेखक/रचनाकार:
रामप्रसाद रैकवार
!! प्यार हो
गया अपनों से ही !!
प्यार हो गया अपनों से ही .!
दिल कि ही बाते बोल रहे .!!
कुछ आदत सी क्यों मेरी फितरत में .!
क्यों ऐसा ही झेल रहे ………….... …!!
झपक रही अब आँखें मेरी .!
आशा में हम झूल रहे ....!!
महारत दी हे कुदरत ने .!
फिर भी हम न कूद रहे .!!
सामने हे मंज़िल भी मेरे .!
फिर भी न हम ढूंढ रहे ....!!
में अवाम का और मेरे सब .!
दिल कि बाते बोल रहे …...!!
बेशर्मो कि ईस दुनिया में .!
शर्मो कि दुनियाँ ढूंढ रहे ..!!
माना खिलाडी हे वो सतरंज के .!
क्यों इतना फिर सोच रहे। ......!!
प्यार हो गया अश्को से ही .!
दिल कि ही बाते बोल रहे ..!!
नहीं हे फिर सावन का मौसम .!
फिर झूले में क्यों झूल रहे ……!!
प्यार हो गया अपनों से ही .!
दिल कि ही बाते बोल रहे ..!!
लेखक/रचनाकार: रामप्रसाद रैकवार …
दिनांक: 23.11.2013...
प्यार हो गया अपनों से ही .!
दिल कि ही बाते बोल रहे .!!
कुछ आदत सी क्यों मेरी फितरत में .!
क्यों ऐसा ही झेल रहे ………….... …!!
झपक रही अब आँखें मेरी .!
आशा में हम झूल रहे ....!!
महारत दी हे कुदरत ने .!
फिर भी हम न कूद रहे .!!
सामने हे मंज़िल भी मेरे .!
फिर भी न हम ढूंढ रहे ....!!
में अवाम का और मेरे सब .!
दिल कि बाते बोल रहे …...!!
बेशर्मो कि ईस दुनिया में .!
शर्मो कि दुनियाँ ढूंढ रहे ..!!
माना खिलाडी हे वो सतरंज के .!
क्यों इतना फिर सोच रहे। ......!!
प्यार हो गया अश्को से ही .!
दिल कि ही बाते बोल रहे ..!!
नहीं हे फिर सावन का मौसम .!
फिर झूले में क्यों झूल रहे ……!!
प्यार हो गया अपनों से ही .!
दिल कि ही बाते बोल रहे ..!!
लेखक/रचनाकार: रामप्रसाद रैकवार …
दिनांक: 23.11.2013...
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