फूलन देवी
विश्वविद्यालय अभियान
जितेंद्र सोनकर
21वी सदी क्रांति का दौर चल रहा है, विश्व के अलग अलग हिस्सों में क्रांति हो रही है, भारत भी इससे अछूता नहीं रहा है, आजादी के बाद
से ही तमाम आंदोलन में भारत की भूमिका रही है, अन्ना के
आंदोलन को लोग भूल भी नहीं पाये है। अब इसी श्रंखला में तमाम सामाजिक, राजनीतिक आंदोलन हो रहे है लेकिन सबसे अधिक राजनीतिक आंदोलन को ही बाल मिल
रहा है, सामाजिक आंदोलन में छोटे मोटे सामाजिक संगठन को
महत्व मिला है ।लेकिन कुछ हो पाना नामुमकिन लग रहा है, तमाम
अध्ययनो ने साबित किया है कि शिक्षित वर्ग ही देश में क्रांति कर रहा है, शिक्षित और बुद्धिजीवी वर्ग में मामूली सा अन्तर नहीं पर एक दूसरे के
विपरीत है और सशक्त रूप से मजबूत भी है । जरूरी नहीं कि शिक्षित वर्ग बुद्धिजीवी
वर्ग में तब्दील हो जाय, परंतु बुद्धिजीवियों का
शिक्षित होना ना होना कोई बड़ी बात नहीं है । सामाजिक ध्रुवीकरण का केंद्र हर समाज
रहा हैं
जिसने समाज के बदलने को कल्पना भी की है , इसी
कल्पनाशीलता को हकीकत में बदलने कुछ नौजवान ने सामाजिक पटकथा भी लिखी है।, जिसमें से एक नाम बलराम बिंद का भी है जो मछुआ समाज के उभरता नेतृत्व है,कश्मीर से कन्या कुमारी तक अपने सामाजिक उत्तरदायित्व का डंका बाजा रहा है
। इस युवा कि उम्र तीस साल है और इसकी उपलब्धियों को नजरअंदाज करना सामाजिक बदलाव
से मुँह मोड़ने जैसा है । यह युवा सोशल मीडिया पर यानी फेसबूक पर निषाद मीडिया नामक
ब्लॉग लिखना शुरू किया उस पर जाल में फाँसी मछली के फोटो डाला तो उसे जुड़े लोगों
के हंसी के पात्र बना लेकिन वह अपने लक्ष्य से भटका नहीं देखते ही देखते इस युवा
के हजारों फ्लोवर हो गए कई सामाजिक संगठन के प्रतिनिधित्व करने लगा वह जहाँ भी
जाता उसे फूल मालाओं से स्वागत करने लगे लोग वह मछुआ समाज के प्रतिनिधित्व भी करने
लगा बुद्धिजीवीयों के बीच हंसी के पात्र बनने वाले इस शक्स ने इस बार फिर एक नाया
आंदोलन छेड़ दिया है 7 दिसंबर 2014 को फूलन देवी विश्वविद्यालय अभियान के आवाज दे दिया एक हफ्ते में इस
अभियान इसे अभियान प्रतिवाद मिलने लगा दो दिन के अन्दर सोशल साइट पर और सामाजिक
संगठनों में इस अभियान की चर्चा होने लगी ।
फूलन देवी के चिंगारी फिर से कैसे भड़क गई
आखिर मछुआ समाज से फूलन देवी के नामांकरण से क्या संबंध तमाम सवालों के के जबाब
महिला सशक्तिकरण और महिला मुक्ति से जुड़ा है । फूलन देवी को मछुआ समाज में मल्लाह, निषाद तुरहा,केवट बिंद मांझी राइकावर गौर, आदि के रूप में
जाने जाते है । फूलन देवी के जन्म इसी जाति में एक जाति मल्लाह में हुआ था जिसका
व्ययवसाय मछली पकड़ना, और नाव चलना रहा है । फूलन देवी
के जन्म उत्तर प्रदेश के पूरवा में 10 अगस्त 1963 को मल्लाह परिवार में हुआ था । उस क्षेत्र में इस जाति हो उंच नीच की
रृष्टि देखा जाता था । भारतीय नारियों को जहां कोमलता का पर्याय समझा जाता है वहीं
अगर वह अपने रौंद्र रुप में आ जाएं तो दुर्गा जैसी हो जाती हैं. 1963 में जालौन जिले के कालपी क्षेत्र के शेखपुर गुढ़ा गांव में जन्मी फूलन
देवी पर बचपन से ही अत्याचार होते रहे लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी। 11 साल की उम्र में फूलन देवी का विवाह कर दिया गया, उसके बाद कुछ दबंगों ने बेहमई गांव में फूलन देवी को निर्वस्त्र कर सबके
सामने घुमाया और उनके साथ सामूहिक बलात्कार किया
इसके बाद संघर्ष के दास्तान यही ख़त्म
नहीं हुई । मालिक ने जब मजदूरी करने गई फूलन देवी के गाँव के मुख्य के लड़का के
छेड़छाड़ करने के विरोध करने के बाद उस पर खुद गाँव के पंचायत में कुलटा साबित कर
दिया गया । उसके बाद गाँव के गाँव के दंबंगों के द्वारा उसकी इज्जत लूट ली गई फिर
फूलन देवी के अपहरण करवा लिया। अनोखी दास्तां हैं। प्रतिरोध की संभावनाओं की तलाश
की जा सकती है। उस दमन के खिलाफ छोटे स्तर पर ही सही आंदोलन की जमीन तैयार की जा
सकती है। शोषितों-पीडि़तों को लामबंद किया जा सकता है। इतना तो माना ही जा सकता है
कि चारों ओर के दरवाजे बंद हो जाने के बाद तात्कालिक आवेग में फूलन देवी को बंदूक
के अलावा कोई चारा नजर नहीं आया। किंतु विरोधियों से बदला लेने के बाद भी उस कृत्य
से चिपके रहना किस मनोदशा का परिचायक है? विशेष परिस्थिति में आत्मसमर्पण हार
या पराजय नहीं होती बल्कि कई बार वह प्रतिरोध का रचनात्मक रूपांतरण भी होती हैं।
जब फूलन इस अत्याचार और घिनौने कृत्य के
बाद फूलन देवी ने चंबल का रास्ता पकड़ लिया और बदले की आग में झुलसते हुए 1981 में अपने
साथी डकैतों की मदद से ऊंची जातियों के गांव में 20 से अधिक लोगों की हत्या कर दी. 12 फरवरी 1983 को फूलन ने मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह के चरणों में बंदूक
रखकर हजारों की भीड़ में अपने साथियों के साथ आत्मसमर्पण कर दिया। फूलन 11 साल तक जेल में रहीं । 1994 में उत्तर
प्रदेश के मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने उनका मुकदमा वापस लेकर उन्हें रिहा कर
दिया. फूलन देवी अत्याचार,प्रतिशोध और विद्रोह की एक फिर
शुरू हुआ शुरू हुआ राजनीति के की शुरुआत हुई रिहा होने के बाद समाजवादी पार्टी से
सांसद चुनी गई 1996 में सांसद बनाने के बाद
महिलाओं के प्रति भेदभाव फल-फूल रहा है और धर्म,जाति, अमीर, गरीब, शहरी-ग्रामीण
विभाजकों में समान रूप से मौजूद थे।
इस सब से हताश निराश मध्यवर्ग के लोगों
को जगाने का काम किया और महिला सशक्तीकरण इतिहास रचने के काम किया महिलयों के शोषण
और हाशिये के समाज के आवाज बनाने लगी । फूलन देवी को इंसाफ की देवी और गरीबों के
हितों के लिए संघर्ष करने वाली बता कर टाइम मैगजीन “फूलन को इस आधुनिक राष्ट्र के सबसे
दूर्दांत अपराधियों के रूप में याद किया जाएगा.”जब फूलन देवी
के राजनीतिक और सामाजिक तेजी से समाज में हो रहे बदलाव ने हांशिये के समाज के आवाज
बनने लगी की राजनीतिक गलियारों में उसे देख का लोग जलाने लगे कि जिसे हम शोषण किए
आज हमारे ही सिने पर ताल ठोक रही है । अंत एक साजिश के तहत उसे 25 जुलाई2001 को आशोक रोड स्थित हत्या कर दिया गई
।
जिस समाज से यह है उस समाज के लोगो ने
संगठन के माध्यम से आवाज उठाने के काम किया लेकिन मीडिया और सरकार के कान पर जु रेगने
के समान था क्योकि जनसंख्या तो बहुत जनसंख्या में थी लेकिन आर्थिक रूप से हंशिए के
समाज थी अंत इस समाज के आवाज ना सरकार तक पहुँचने में आसमार्थ थी आज भी यह संगठन
सी॰बी॰आई से जाँच के माँगा करता रहता है । लेकिन सत्ता की नजर उस तरफ नहीं जाती है
। फिर भी फूलन देवी के संगर्षों पर शेखर कपूर ने बैडिट क्वीन फिल्म बना कर
प्रदर्शित किया 1994 में बैडिट क्वीन बनी तो लोगों ने फूलन देवी को बहुत करीबी से जानने के
कोशिश भी कि उसका संघर्ष गाँव के यथार्थ को चित्रण करता है । उसके संघर्षों को
सामाजिक संगठन और महिला संगठन तेजी से बढ़ते रहते है । जब भी कभी किसी महिला और
लड़की हिंसा के शिकार होती है तो फूलन देवी हर किसी के जुबान पर होती है ।
फूलन से संघर्षों को देखते हुए बलराम ने
फूलन विश्व विघालय अभियान को बढ़ाया है । बलराम के प्रयास को सलाम किया जाना चाहिए
। जिस समय युवा अपने रोजगार की ओर मुँह तक कर खड़े रहते है की रोजगार मिले और हंसी
खुसी से जीवन व्यतीत हो ऐसे में निषाद समाज का उभरता नेतृत्व बलराम बिंद, निषाद समाज को एक
सम्मान जनक स्थिति पर पहुँचना चाहता है । तमाम राजनीति मंच इस समाज के वोट से अपनी
सीट बढ़ा रहे है । अकेले उत्तर प्रदेश में अगर निषाद संस्कृति के जातियों संगठित हो
जाय तो उत्तर प्रदेश की राजनीति भी मछली की तरह जाल में फस सकती है । जिस समाज में
फूलन जैसे नेतृत्व युवाओं का मार्ग दर्शक कर रही है ऐसे समय में बलराम जैसे साथी
के लिए बड़ी बात नहीं है जब फूलन देवी विश्व विघालय की स्थापना समाज शास्त्रीय रूप
में हो जिसे समाज के के स्वरूप को गहराई से से समझा जा सके जो महिला और हाशिए के
समाज के प्रस्थितिकी को समझा जा सके इस फूलन देवी विश्व विघालय की स्थापना का
उद्देश्य है । जिससे कि दलित SC/OBC/ST/के बदलते आयाम
को समझा जा सके वा राष्ट्र निर्माण में अपना योगदान दे सके । सास्कृतिक रूप से भी
भारत को एक नई दिशा देगी .................
Bhai Balaram Bind ji ke is abhiyan ko main naman karata hoon. Ise aage badhane ke liye main samaj ke sabhi logon se aavahan karata hoon ki ve is abhiyan ko purna karane me apana yogdan den.
ReplyDeleteIsake liye jameen aur aarthik sahyog ki aavashyakata hai. Main Bhai Balaram Bind ji se Nivedan karunga ki pahale ve ek bank me khata kholen aur use sarvajanik karen aur usake liye ek comety ki jarurat padegi jo sajjan is puneet karya me bhag lena chahen ve aage aayen.
Main yatha sambhav madat kar sakta hoon. Ichchhuk sajjan ramsuratbind@yahoo.com Ramsurat Bind F/B athva 00966576386457 par apani rai de sakatae hain.Jai Nishad Raj, Jai Phoolan Devi.
Very nice ✊
ReplyDeletevery nice
ReplyDeleteजय मल्ल्हा
ReplyDeleteNice
ReplyDeleteNice
ReplyDeleteमेरे साथ सबकों काम करना होगा
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