Tuesday, July 9, 2013

नई सीख

!! नई सीख !! 

दिशा का पता नहीं दशा बदले केसे ...? सम्मानीय समाज आज भी और अपने रोज नए शलोको और लेखो द्वारा ही मन की पीड़ा मिटा लेते हे,यह समांज पसंद और न पसंद जेसे छोटे से शब्दों पर भी कितना दिल और दिमाग से अमीर हे,यह बात किसी से छुपी नहीं हे ...?
हमारे हँसते हुए चेहरे तो दिखते हे ...पर इस हँसी में भी वर्षो से दिलों में कपट का और समाज से रुष्टता रख्खी हुई हे,जो बहार से नजर नहीं आती जब भी समाज आपस मे मिलता हे प्रेम की पींगे देखो कितनी अच्छी लगती हे,और अपने अहम् को न जीतकर दुसरो को सलाह देने की बेकार की बातों में उलझाने और सुलझाने ही लगे रहते हे ....?

अगर ऐसा नहीं होता तो हमारे समाज के लोग अपने ही समाज के विरुद्ध नहीं होते न चुनाव में आमने सामने खड़े होते ...? निहित स्वार्थ में लिप्त और चतुर चलाक कुछ ही लोग हे ...? जो यह समझते हे की समाज के पिछड़े लोग क्या जाने की इस दुनियाँ में वोही समझदार हे ...अपने ही बेवफा निकले ओरो से क्या शिकवा ...?

क्युकी यह पूरा समाज नॉन केडर बगेर परीक्षण का वर्ग हे जिसे आज तक इस पुरे भारत की व्यवस्था से लड़ने के सर्वसम्पन गुण किसी ने सिखाये ही नहीं ...? जो की आज की अव्यक्सकता हे,जिसके कारण यथावत स्थिति वोही की वोही हे यही वो कारण हे की आन्दोलन केसे चलते हे,केडर ट्रेनिंग के अभाव में सारे सपने समाज के अभी भी सपने ही बनकर रह गये हे ...?

बाकी चर्चा फिर होगी ...यह वो सत्य हे जो कोई भी इससे अवगत नहीं करना चाहता या इस वर्ग को पता ही नहीं हे ...?

त्रुटी होने पर क्षमा प्रार्थी हूँ ...!

आपका सेवक: रामप्रसाद रैकवार ...

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