मछुआ
सामाज से उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री हो – एक अभियान
दुनिया बदल रही है ,लोग बदल रहे है । मछुआ समाज को आज अपना स्वरूप सोचने का तरीका बदलना चाहिए । समाज भले ही हाशिये
के रूप में हो, या आर्थिक रूप से कमजोर हो लेकिन सत्ता के करीब
पहुँचने लगा है ।
मछुआ समाज से मुख्यमंत्री
हो इस अभियान में लोगो से फोन पर बात करने पर लगभग सभी लोगो को मानना था की मछुआ समाज
से मुख्यमंत्री बनाना चाहिए ये बहुत ही खुशी की बात है, की आज सभी चाह रहे है की
सत्ता हमारे समाज के पास होगा तो सभी समाज के देखते हूँ अपने समाज का भी विकास हो जाएगा
हमारे कुछ बुढ़ीजीवी लोग
है कहते है, की अपने समाज के नेता कहीं से खड़ा हो मछुआ समाज को तो मछुआ समाज को वोट
करना चाहिए, वही बात करने पर लोग अपने नजरिया से समाज सोचता
है । वह कहता है हमारे समाज के नेता पाँच वर्ष
के कार्यकाल में हमारे समाज के नेता कितना बार आए है । हमारे सुख दुख मे, जिसे साथ दे वही नेता अपने नजरिया
सोचता है । पार्टी के नेता नजरिया से सोचता है। वहीं आम जनता अपने नजरिया से सोचने
के काम करती है इस खाई को हमारे नेता को यह समझने की जरूरत है की वह समाज के साथ चलना
चाहते है अपने पार्टी के आधार पर समाज के विकास चाहते है प्रश्न आप के सामने है
दूसरी बात और भी उभर कर
सामने आई की अपने समाज के कई पार्टी है जैसे जय हिन्द समाज पार्टी ,प्रगतीशील मानव समाज पार्टी, निषाद एकता मंच,वंचित पार्टी,एकलभ्य पार्टी, फूलन
सेना,आदि पार्टी है इस सब पार्टी के सभी राष्ट्रीय अध्यक्ष है, एक दूसरे से बड़े है एक होने के नाम इस सभी राष्ट्रीय अध्यक्ष के लेबल ख़तरे
में आने लगती है जिसका कारण एक होने के नाम नहीं ले पा रहे है । समाज को विकास चाहते
है तो सभी पार्टी को एक मंच पर आना ही होगा नहीं तो यह राष्ट्रीय अध्यक्ष बने रहे।
समाज के विकास नहीं चाह रहे है । यह प्रश्न आप के सामने है
बहुत लोग को मानना था
की हमारे जीतने भी नेता है अपने स्वार्थ और अपने नाम कमाने के लिए हर पार्टी में है
,एक होने दूसरे से एक होने के लिए नाम नहीं ले रहे है। लोगो का कहना की यह अपना
स्वरूप बदलते है तो वह दिन दूर नहीं जो आने वाले दिन में मछुआ समाज के ही उत्तर प्रदेश
में मुख्य मंत्री होगा ... यह प्रश्न आप के सामने है
आप सब समाज के दिशा देना
चाहते है तो समाज ने आप सभी नेता के ऊपर समाज अपना प्रश्न रखा है आप किस तरह समाज के विकास
किस तरह से चाह रहे है आप के ऊपर समाज अपना प्रश्न छोड़ता है ........आप सभी के आवाज
के आहट के आश में समाज
लेखक
बलराम बिंद
Samaj ki kai partiyan hai yahi chinta ka vishaya hai. Main apane gaon me ek sammelan karaya to yahi baat samane kai log rakhe lekin baat kuchh aage nahin badhi. Samay ke rahte agar hum nahin chete to samaj kahan jayega kah nahin sakte.
ReplyDeleteaap ki baat sahi hai
ReplyDeleteYes sir you are writ
ReplyDelete