!! मोर बहुत हे जंगल में !!
मोर बहुत हे जंगल में .....!
कोई पंख लगा के देख ले .!!
बिखरे पड़े हे पंखों के झुण्ड से .!
उनको भी उठाके देख ले .......!!
चमक दिखेगी केसी वो अब .!
इस्तेमाल भी करके देख ले .!!
केसा होगा वो मस्त ही मौसम .!
समय के चक्र को देख ले .......!!
खुदी पहनो या कोई और भी पहने .!
इन मोरों का कमाल भी देख ले .…!!
सच्ची बात हे में मूल निवाशी .!
आदिवाशी से मिलकर देख ले .!!
भरा पड़ा हे रहस्यों से जंगल .!
एक रात बिता के देख ले ....!!
मेरा धन हे केवल जंगल सारा .!
नदी-समुन्दर उतर के देख ले .!!
चीटी भी यहाँ मस्त हे रहती .!
लोटन चश्मे से देख ले .……!!
ओरों कि तो बात ही क्या हे .!
इनको भी समझके देख ले .!!
पेड़ न हो और उजड़े जंगल हो ...!
वो नजारा भी जंगल का देख ले .!!
खिले न कभी इंसान का दिल भी .!
आज माके देख ले ..................!!
रोज ही नाँचें मोर यहाँ पर .!
उसकी कलगी भी देख ले .!!
ऊँची टोपी वो रोज ही पहने ....!
उसका भी कमाल भी देख ले .!!
मोर बहुत हे जंगल में .....!
कोई पंख लगा के देख ले .!!
!! जय समाज !!
लेखक/रचनाकार: रामप्रसाद रैकवार …
दिनांक: 24.12.2013 ...
मोर बहुत हे जंगल में .....!
कोई पंख लगा के देख ले .!!
बिखरे पड़े हे पंखों के झुण्ड से .!
उनको भी उठाके देख ले .......!!
चमक दिखेगी केसी वो अब .!
इस्तेमाल भी करके देख ले .!!
केसा होगा वो मस्त ही मौसम .!
समय के चक्र को देख ले .......!!
खुदी पहनो या कोई और भी पहने .!
इन मोरों का कमाल भी देख ले .…!!
सच्ची बात हे में मूल निवाशी .!
आदिवाशी से मिलकर देख ले .!!
भरा पड़ा हे रहस्यों से जंगल .!
एक रात बिता के देख ले ....!!
मेरा धन हे केवल जंगल सारा .!
नदी-समुन्दर उतर के देख ले .!!
चीटी भी यहाँ मस्त हे रहती .!
लोटन चश्मे से देख ले .……!!
ओरों कि तो बात ही क्या हे .!
इनको भी समझके देख ले .!!
पेड़ न हो और उजड़े जंगल हो ...!
वो नजारा भी जंगल का देख ले .!!
खिले न कभी इंसान का दिल भी .!
आज माके देख ले ..................!!
रोज ही नाँचें मोर यहाँ पर .!
उसकी कलगी भी देख ले .!!
ऊँची टोपी वो रोज ही पहने ....!
उसका भी कमाल भी देख ले .!!
मोर बहुत हे जंगल में .....!
कोई पंख लगा के देख ले .!!
!! जय समाज !!
लेखक/रचनाकार: रामप्रसाद रैकवार …
दिनांक: 24.12.2013 ...
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