!! मुखोटो का शहर !!
सुन्दर चेहरा और सुन्दर बाते .!
देखा इसी शहर में ..............!!
सुनते - सुनाते गुजरा समय हे .!
देखा इसी शहर ने .................!!
हलख में फसी हे बाते बहुत ही .!
देखा इसी शहर ने ................!!
खूब चिल्लाये पर बाते न निकल पाए .!
देखा इसी शहर ने …………………....!!
दिल हे यहाँ पर क्यों दिवाना .!
देखा इसी शहर में ............!!
सुन्दर चेहरा और सुन्दर बाते .!
देखा इसी शहर में ..............!!
सुनते - सुनाते गुजरा समय हे .!
देखा इसी शहर ने .................!!
हलख में फसी हे बाते बहुत ही .!
देखा इसी शहर ने ................!!
खूब चिल्लाये पर बाते न निकल पाए .!
देखा इसी शहर ने …………………....!!
दिल हे यहाँ पर क्यों दिवाना .!
देखा इसी शहर में ............!!
यहाँ क्यों बना आदम मेंडक सा .!
कूदे इधर-उधर में ..................!!
जिद्धी वो हे क्यों हर बात का ..!
क्या नशा हे इसी शहर में .....!!
रंग बदल दे कब कोन यहाँ पर .!
देखा इसी शहर में ...............!!
पीए अमृत रोज पर क्यों उगले जहर हे .!
देखा इसी शहर में .........................!!
तीन को तेरह कोई रोज बताता .!
देखा इसी शहर में ...............!!
केदी कि तरह हे जीवन यहाँ पर .!
पर ठहरे इसी शहर में ……… !!
घर के रिश्ते टूटे बिखरे ..........!
पर जुड़े किसी से इसी शहर में .!!
रात में डर्ता क्यों शहर हे .!
देखा इसी शहर में ........!!
आचरण कि सब बात करे हे ....!
पर मिला न क्यों इसी शहर में .!!
मोल भाओ कि बाते चुपके से .!
देखा इसी शहर में …………..!!
बिकते देखे कई समान यहाँ पर..!
देखा इसी शहर में ………….....!!
डॉक्टर बना क्यों यहाँ इंजीनियर .!
देखा इसी शहर में ……………..!!
तजुर्बा कुछ हे पर देखे कुछ हे .!
देखा इसी शहर में ...............!!
टोपी भी रंग से बदलती देखी .!
वाह रे इसी शहर में ………...!!
इंसान बना हे कुछ और यहाँ पर .!
देखा इसी शहर में ……………...!!
जो समझाए वो हे खुदी तो भटके .!
देखा इसी शहर में ……………..!!
आँखे से ही बात हे होती .!
देखा इसी शहर में ……!!
गर्दन हिली तो कुछ ही मतलब .!
समझो इसी शहर में ………..!!
पल में पाला मोका देखकर बदले .!
देखा इसी शहर में ……………..!!
माफ़ करना कि गुस्ताकी .!
पर हूँ में भी इस शहर में .!!
पर सुझाव मेरा हे प्यार का सन्देश हो .!
प्यार - प्यार हो इसी शहर में …… !!
!! जय समाज !!
लेखक/रचनाकार: रामप्रसाद रैकवार …
दिनांक: 24.12.2013...
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