लेखक
सुरेश कुमार एकलभ्य
समुदाय के महान वीर सपूत थे
जुब्बा साहनी !!!!
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मुजफ्फरपुर में क्रांति का उद्घोष करने वाले जुब्बा साहनी का नाम बिहार के अग्रगण्य स्वतंत्रता सेनानियों में शामिल है। इस महान वीर सपूत का जन्म सन १९०६ में बिहार के मुजफ्फरपुर जनपद के चैनपुर गाँव में हुआ था। जुब्बा साहनी का परिवार अत्यंत निर्धन था। मगर देश के प्रति समर्पण और बलिदान होने की भावना उसमे कूट -कूटकर भरी थी। वह लड़कपन से ही क्रांतिकारियों की संगत में भाग लेने लगे थे। उन्होंने बिहार में आजादी के कई आंदोलनो में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
सन १९४२ में महात्मा गांधी द्वारा भारत छोडो आंदोलन शुरू किया गया। इस आंदोलन के दौरान जुब्बा साहनी ने १६ अगस्त को मुजफ्फरपुर के मीनापुर थाणे के अंग्रेज इंचार्ज लियो वालर को आग में जिंदा झोंक दिया। यह एक बड़ी घटना थी। अंगेरीजी सत्ता ने जुब्बा साहनी को काफी मशक्क्त के बाद गिरफ्तार कर लिया। उन्हें फांसी की सजा हुई और ११ मार्च १९४४ को यह महान देशभक्त फांसी के फंदे पर झूल गया। बिहार के मुजफ्फरपुर में जुब्बा साहनी के नाम पर एक खेल स्टेडियम और पार्क बना हुआ है। जो आज भी उनकी बहादुरी और देशभक्ति की कहानी जीवित रखे हुए है।
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मुजफ्फरपुर में क्रांति का उद्घोष करने वाले जुब्बा साहनी का नाम बिहार के अग्रगण्य स्वतंत्रता सेनानियों में शामिल है। इस महान वीर सपूत का जन्म सन १९०६ में बिहार के मुजफ्फरपुर जनपद के चैनपुर गाँव में हुआ था। जुब्बा साहनी का परिवार अत्यंत निर्धन था। मगर देश के प्रति समर्पण और बलिदान होने की भावना उसमे कूट -कूटकर भरी थी। वह लड़कपन से ही क्रांतिकारियों की संगत में भाग लेने लगे थे। उन्होंने बिहार में आजादी के कई आंदोलनो में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
सन १९४२ में महात्मा गांधी द्वारा भारत छोडो आंदोलन शुरू किया गया। इस आंदोलन के दौरान जुब्बा साहनी ने १६ अगस्त को मुजफ्फरपुर के मीनापुर थाणे के अंग्रेज इंचार्ज लियो वालर को आग में जिंदा झोंक दिया। यह एक बड़ी घटना थी। अंगेरीजी सत्ता ने जुब्बा साहनी को काफी मशक्क्त के बाद गिरफ्तार कर लिया। उन्हें फांसी की सजा हुई और ११ मार्च १९४४ को यह महान देशभक्त फांसी के फंदे पर झूल गया। बिहार के मुजफ्फरपुर में जुब्बा साहनी के नाम पर एक खेल स्टेडियम और पार्क बना हुआ है। जो आज भी उनकी बहादुरी और देशभक्ति की कहानी जीवित रखे हुए है।
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