लेखक
सुरेश एकलभ्य
श्रंगवेरपुर
में कौन आया है अधम
काटे जायेंगे उन दुष्टों के कदम
चलो निषादों धनुष उठा लो
तरकश में पैने बाण सजा लो
ढाल तलवारों को अंग लगाओ
बरछे भालों को श्रींगार कराओ
वीर हो वीरो का अवतार धरो
मार अरि को धरा से दूर करो
समय न पावे कर दो बेदम
श्रंगवेरपुर में कौन आया है अधम
किशोर नारी सब जाग लिए
बालक वृद्ध शस्त्र धर भाग लिए
गुह संग पंक्तिबद खड़े हो गए
जोहर दिखाने को भाव कड़े हो गए
धरा हर्दय गर्व से भरने लगा
संगति देने पक्षी कलरव करने लगा
अम्बर भी देखता था हकदम
श्रंगवेरपुर में कौन आया है अधम
दसों दिशा रणभेरी बजने लगी
छनों में निषाद सेना सजने लगी
अम्बर भय्क्रांत हो ड़ोल गया
युदरस भाव कण कण में घोल गया
श्रंगवेरपुर पर बढ़ते पाँव ठहर गए
देख निषाद सवरूप प्राण सहम गए
सात सुरों से ऊँचा था रिद्धम
श्रंगवेरपुर में कौन आया है अधम
वीरों का दल जयकार करने लगा
कर्कशता से रिक्त गगन हिलने लगा
टश कदम कम्पित हो डगमगा गए
देख काल म्रत्यु का भय जगा गए
वो रूद्र रूप थे महाबलिदानी थे
जो नत न हो ऐसे अभिमानी थे
सहस्र में दिखते थे कई पदम्
श्रंगवेरपुर में कौन आया है अधम
निषाद वंशजों की यह सेना अब नहीं
वीरों की गाथा धर्म ग्रंथो में क्यों नहीं
वे धुंरधर महारथी अश्प्रश्य हो गए
देख कुतिस्तों का प्रलाप माधो सो गए
रन बने हैं रणभेरी वाला कहाँ रहा
वायु तीर्व है सुना है वायु खा रहा
पापी वे नहीं हम ही हैं नराधम
श्रंगवेरपुर में अब रोज आता है अधम
कोई नहीं काटता उसके कदम, कोई नहीं काटता कदम
काटे जायेंगे उन दुष्टों के कदम
चलो निषादों धनुष उठा लो
तरकश में पैने बाण सजा लो
ढाल तलवारों को अंग लगाओ
बरछे भालों को श्रींगार कराओ
वीर हो वीरो का अवतार धरो
मार अरि को धरा से दूर करो
समय न पावे कर दो बेदम
श्रंगवेरपुर में कौन आया है अधम
किशोर नारी सब जाग लिए
बालक वृद्ध शस्त्र धर भाग लिए
गुह संग पंक्तिबद खड़े हो गए
जोहर दिखाने को भाव कड़े हो गए
धरा हर्दय गर्व से भरने लगा
संगति देने पक्षी कलरव करने लगा
अम्बर भी देखता था हकदम
श्रंगवेरपुर में कौन आया है अधम
दसों दिशा रणभेरी बजने लगी
छनों में निषाद सेना सजने लगी
अम्बर भय्क्रांत हो ड़ोल गया
युदरस भाव कण कण में घोल गया
श्रंगवेरपुर पर बढ़ते पाँव ठहर गए
देख निषाद सवरूप प्राण सहम गए
सात सुरों से ऊँचा था रिद्धम
श्रंगवेरपुर में कौन आया है अधम
वीरों का दल जयकार करने लगा
कर्कशता से रिक्त गगन हिलने लगा
टश कदम कम्पित हो डगमगा गए
देख काल म्रत्यु का भय जगा गए
वो रूद्र रूप थे महाबलिदानी थे
जो नत न हो ऐसे अभिमानी थे
सहस्र में दिखते थे कई पदम्
श्रंगवेरपुर में कौन आया है अधम
निषाद वंशजों की यह सेना अब नहीं
वीरों की गाथा धर्म ग्रंथो में क्यों नहीं
वे धुंरधर महारथी अश्प्रश्य हो गए
देख कुतिस्तों का प्रलाप माधो सो गए
रन बने हैं रणभेरी वाला कहाँ रहा
वायु तीर्व है सुना है वायु खा रहा
पापी वे नहीं हम ही हैं नराधम
श्रंगवेरपुर में अब रोज आता है अधम
कोई नहीं काटता उसके कदम, कोई नहीं काटता कदम
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