लेखक/रचनाकार:
रामप्रसाद रैकवार
!! क्यों
झूठा में हो गया !!
क्यों झूठा में बेकार ही हो गया .!
सबसे आगे में निकल गया ...!!
भारत कि में भीड़ खो गया .!
लहर केवल अब झूठों कि .!!
मुखियाँ झूठो का जो बन गया .!
आखों से भी बेकार हो गया। ..!!
चतुर खिलाड़ी हूँ दुनियाँ का .!
झूठो का व्यापार ही हो गया .!!
झूठ ढेर पर क्यों बेठा हूँ .!
जब बेड़ा गर्क हो गया ...!!
क्यों इंतराऊ अपने झूट पे रोज ही .!
क्यों में अच्छा सौदागर हो गया। ..!!
सच्चो कि में बली चढ़ाऊँ ....!
चतुर खिलाड़ी जो बन गया .!!
क्यों डरूँ में किसी खुदा से .....!
झूठ का जो सिरमोहर हो गया .!!
कला झूठ कि सीखी ऐसी ......!
दिखे हे ऐसा व्यापार हो गया .!!
मिलूँ और दिखूँ चेहरा ख़ुशी का .!
झूट से लुटा सा क्यों हो गया। ..!!
सब बेले पुरियाँ मेरे आगे ..........!
झूठ का जब में खिलाड़ी हो गया .!!
क्यों झूठा में बेकार ही हो गया ..!
सबसे आगे में निकल गया ....!!
!! जय समाज !!
लेखक/रचनाकार: रामप्रसाद रैकवार …
दिनांक: 11.11.2013 ...
क्यों झूठा में बेकार ही हो गया .!
सबसे आगे में निकल गया ...!!
भारत कि में भीड़ खो गया .!
लहर केवल अब झूठों कि .!!
मुखियाँ झूठो का जो बन गया .!
आखों से भी बेकार हो गया। ..!!
चतुर खिलाड़ी हूँ दुनियाँ का .!
झूठो का व्यापार ही हो गया .!!
झूठ ढेर पर क्यों बेठा हूँ .!
जब बेड़ा गर्क हो गया ...!!
क्यों इंतराऊ अपने झूट पे रोज ही .!
क्यों में अच्छा सौदागर हो गया। ..!!
सच्चो कि में बली चढ़ाऊँ ....!
चतुर खिलाड़ी जो बन गया .!!
क्यों डरूँ में किसी खुदा से .....!
झूठ का जो सिरमोहर हो गया .!!
कला झूठ कि सीखी ऐसी ......!
दिखे हे ऐसा व्यापार हो गया .!!
मिलूँ और दिखूँ चेहरा ख़ुशी का .!
झूट से लुटा सा क्यों हो गया। ..!!
सब बेले पुरियाँ मेरे आगे ..........!
झूठ का जब में खिलाड़ी हो गया .!!
क्यों झूठा में बेकार ही हो गया ..!
सबसे आगे में निकल गया ....!!
!! जय समाज !!
लेखक/रचनाकार: रामप्रसाद रैकवार …
दिनांक: 11.11.2013 ...
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