लेखक
रामप्रसाद रैकवार
अगर कोई भी पार्टी मछुआरा समाज का भला करना चाहती हे तो वो सर्व प्रथम दिखना
चाहिए : - (१) स्वतंत्र राष्ट्रीय मछुआरा आयोग … ?
(२ ) जो मछुआ समाज करीब २० करोड़ की आबादी के आसपास हे … राष्ट्रीय स्तर पर निषाद - कश्यप की उप १२७ जातियों को केवल
एक नाम से जाना जाए … ? भले ही पर्यायवाची शब्दों में वो निषाद - कश्यप की १२७ उप जातियां हो … ?
इसके लिए समाज का सरकारी सर्वे समाज द्वारा ही हो, जो सरकारी प्रतिनिधि के तोर पर काम करे और सर्वे करे
राष्ट्रीय मछुआरा आयोग के गठन होने पर … ? इन सभी को रिज़र्वेशन की एक ही सूचि में - सूचीबद्ध किया जाए
…
?
( ३ ) पूरे भारत में सूचीबद् करके भारत के गजट बुक ( किताब
में ) इन सभी जातियों को निषादों - कश्यप जातियों की डाला जाए इनको एक ही सरकारी
आदेश से सर्कुलेट सभी राज्यों में किया जाए … ताकि सरकारी और सामाजिक टीपा - टिप्पणी से साफ़ बचा जाए और
पुरे भारत में इस समाज के साथ हो रहे सौतेले व्यवहार से इनको निजात मिल सके … ?
( ४ ) निषाद - कश्यप की १२७ उप जातियों के लिए समाज को सरकारी
मान्यता हेतु शीग्र अति शीग्र सरकारी आदेश जारी हो सरकारी एक शाखा के राज्य- राज्य
की राजधानी से राष्ट्रीय स्तर के सभी राज्यों समेत दिल्ली की राजधानी तक पर … ?
जय कश्यप - जय निषाद - जय कोली/कोहली - जय रैकवार - जय भोई - जय माँझी - जय
मल्लाह / केवट - जय साहनी - जय बिंद - बाथम/ तुरैहा /तोमर गुहा - गोहिल और सभी -
समन्धित इत्यादि - इत्यादि …
जय समाज - जय निषाद - जय कश्यप - जय भारत
दिनांक : 21.04.2014 ...
Hamari jo bhi apekshayen sarkar se hai vah bina sangathit huye nahin milegi. Sangathit samaj ke aage sarkar jhukati hai. Ab samay aa gaya hai ki hum sangathit hokar sangharsh karen. Jai Nishad.
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