लेखक / रचनाकार :
रामप्रसाद रैकवार …
!! बुंदेली कविता समर्पित इस वीरांगना को कोटि - कोटि नमन …
जय हो !!
मत - मत भूलों झलकारी बाई को .!
उसने वतन की कसम जो खाई थी !!
छोड़के चूड़ियाँ महंगे साधनो को .!
तलवार की झलक दिखाई थी ....!!
मर्द - मर्दानी और सबपे भारी .!
वो तो झलकारी बाई थी ........!!
उसकी तलवार से भौच्चके अंग्रेज थे .!
वो भी कालका माँई थी ................!!
बुंदेलखंड की वो तप्ती - तपो भूमि थी .!
ताप - तपन से फौज घबराई थी ........!!
करे थे खट्टे दाँत दुश्मन के .!
अंग्रेज फौजें थर्राई थी ......!!
बनाके मुण्डों की वर माला .!
बुंदेलों की शान बड़ाई थी ...!!
छल न चला था तब उसके ऊपर .!
जब खड़क की चमक दिखाई थी ..!!
टप- टप टापों सवार घोड़े पर .!
मर्द मर्दानी कहलाई थी .......!!
छोड़के घूँघट का ओढ़ना फिर .....!
देश के मान की लड़ी - लड़ाई थी .!!
दिया संदेश हे पूरे भारत को .....!
गजब ही बुंदेली गाथा गाई थी ...!!
जिस उम्र में चूड़ियाँ खनके हे .!
उसने तलवार उठाई थी ........!!
प्रणाम करूँ में उस वीरांगना को .!
लोह रानी बनकर वो आई थी ...!!
धन्य - धन्य हे यह भारत धरती .!
हर बुंदेली ने कथा सुनाई थी ......!!
वो आई थी लोह रानी बनकर .!
पताका बुंदेली लहराई थी ......!!
जय बुंदेलखंड … जय समाज … जय भारत
लेखक / रचनाकार : रामप्रसाद रैकवार …
दिनांक : 03.06.2014 ...
मत - मत भूलों झलकारी बाई को .!
उसने वतन की कसम जो खाई थी !!
छोड़के चूड़ियाँ महंगे साधनो को .!
तलवार की झलक दिखाई थी ....!!
मर्द - मर्दानी और सबपे भारी .!
वो तो झलकारी बाई थी ........!!
उसकी तलवार से भौच्चके अंग्रेज थे .!
वो भी कालका माँई थी ................!!
बुंदेलखंड की वो तप्ती - तपो भूमि थी .!
ताप - तपन से फौज घबराई थी ........!!
करे थे खट्टे दाँत दुश्मन के .!
अंग्रेज फौजें थर्राई थी ......!!
बनाके मुण्डों की वर माला .!
बुंदेलों की शान बड़ाई थी ...!!
छल न चला था तब उसके ऊपर .!
जब खड़क की चमक दिखाई थी ..!!
टप- टप टापों सवार घोड़े पर .!
मर्द मर्दानी कहलाई थी .......!!
छोड़के घूँघट का ओढ़ना फिर .....!
देश के मान की लड़ी - लड़ाई थी .!!
दिया संदेश हे पूरे भारत को .....!
गजब ही बुंदेली गाथा गाई थी ...!!
जिस उम्र में चूड़ियाँ खनके हे .!
उसने तलवार उठाई थी ........!!
प्रणाम करूँ में उस वीरांगना को .!
लोह रानी बनकर वो आई थी ...!!
धन्य - धन्य हे यह भारत धरती .!
हर बुंदेली ने कथा सुनाई थी ......!!
वो आई थी लोह रानी बनकर .!
पताका बुंदेली लहराई थी ......!!
जय बुंदेलखंड … जय समाज … जय भारत
लेखक / रचनाकार : रामप्रसाद रैकवार …
दिनांक : 03.06.2014 ...
—
No comments:
Post a Comment