Friday, January 17, 2014

जीने के लिए घर नहीं ........

                                                                           लेखक 
                                                                 बालक राम सांसी 
इस देश में जो लोग सदियोँ से जमीनो वाले माने जाते है यानि यू कहे जिनका जमीन से लेकर आसमान तक कब्जा और सरपंच से लेकर प्रधान मंत्री तक कब्ज़ा । उन लोगों को सरकार गरीब मानती है । देश में 15 करोड़ से भी जयदा विमुक्त घुमन्तू लोग है । लेकिन 21 वि सदी में 38 % विमुक्त घुमंतू लोग आज भी बेघर है । अपना रैनबसेरा सीवरेज के पाइपो ,पुलों के नीचे ,नीले आसमान के नीचे ,तरपलो में ,अपना जीवन बसर करने पर मजबूर है। राशन कार्ड , बी पी एल कार्ड से कोशो दूर है क्यों की जिनका घर नही उनका राशन कार्ड भी नही और सरकार कि हर मदद से वंचित है । सदीयों से आस लगाये बैठे है की कोई हमारी भी शुद्ध लेगा। क्या ये इस देश वाशी नही है हरियाणा में जिन जातिओं को आरक्षण दिया है क्या ओह इन से भी गरीब है ? यहाँ से पता लग रहा है कि इस देश में अब गरीबो को बचाने वाला कोई नही है फिर से दमन निति शुरु हो गयी है और दबंग लोग देश के लोकतंत्र का गला सरे आम काटने लग गये है ! और सरकार उनकी गुलाम बनकर रह गयी है मै आप ही से पूछता हूँ कि गरीबो को इंसाफ कोन देगा ?




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