लेखक / रचनाकार : रामप्रसाद रैकवार …
दिनांक : ३०.०३.२०१४ …
!! बुंदेली कविता
!!
!! नहीं रुकत हे
अँसुआ !!
नहीं
रुकत हे अँसुआ ..!
आँखे हो गई पथराए ..!!
आँखे हो गई पथराए ..!!
सब
जानत हे बे बाँसुरी .!
का से कोन बताए ......!!
का से कोन बताए ......!!
सभी
विद्धवान हे देश में ..!
कय आँखे थी झपकाय ..!!
कय आँखे थी झपकाय ..!!
कय
खुली हे अब आँख तो .!
का से कोन बताए ..........!!
का से कोन बताए ..........!!
बे कहत
रात तो हम हे दिन बताए ..........!
लाईआं भैया ने सीख न,कोन केसे बताए .!!
लाईआं भैया ने सीख न,कोन केसे बताए .!!
उड़े हे
बे आसमान में .!
का हुईय अब भाय ....!!
का हुईय अब भाय ....!!
में
बुंदेली हूँ अपने देश को .!
साँसी दे हूँ बताए ..........!!
साँसी दे हूँ बताए ..........!!
नहीं
रुकत हे अँसुआ .!
आँखे हो गई पथराए .!!
आँखे हो गई पथराए .!!
!! जय समाज !!
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