Sunday, March 30, 2014

बुंदेली कविता

                                              लेखक / रचनाकार : रामप्रसाद रैकवार
                                                       दिनांक : ३०.०३.२०१४

!! बुंदेली कविता !!
!! नहीं रुकत हे अँसुआ !!
नहीं रुकत हे अँसुआ ..!
आँखे हो गई पथराए ..!!
सब जानत हे बे बाँसुरी .!
का से कोन बताए ......!!
सभी विद्धवान हे देश में ..!
कय आँखे थी झपकाय ..!!
कय खुली हे अब आँख तो .!
का से कोन बताए ..........!!
बे कहत रात तो हम हे दिन बताए ..........!
लाईआं भैया ने सीख न,कोन केसे बताए .!!
उड़े हे बे आसमान में .!
का हुईय अब भाय ....!!
में बुंदेली हूँ अपने देश को .!
साँसी दे हूँ बताए ..........!!
नहीं रुकत हे अँसुआ .!
आँखे हो गई पथराए .!!
!! जय समाज !!


No comments:

Post a Comment